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बीकानेर-आज जागो ग्राहक जागो अपने अधिकारों को पहचानो की श्रृंखला के अंतर्गत Bikaner 24X7News के पाठकों को एक ऐसी कानूनी बात बताने जा रहा हूं जिसमें आपको यह जानकारी मिलेगी की जब किसी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी के खिलाफ कोई परिवाद उपभोक्ता आयोग में प्रस्तुत किया जाता है तो ऐसी कंपनी आपके परिवाद से पल्ला झाड़ने के लिए और पूरी की पूरी लायबिलिटी अपने ऊपर से हटाकर केवल मात्र उस दुकानदार पर जिम्मेवारी तय करने का प्रयास करती हैं जहां से कंपनी ने आपको मोबाइल खरीद करके उसकी डिलीवरी आपको सौंपी है। इसको हम एक वास्तविक केस के मार्फत समझने का प्रयास करते हैं की किस प्रकार जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग बीकानेर ने ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी फ्लिपकार्ट और फ्लिपकार्ट कंपनी के माल की होम डिलीवरी करने वाली कोरियर कंपनी ईकार्ट को दोषी मानते हुए इन दोनों कंपनियों को संयुक्त रूप से उपभोक्ता को ब्याज सहित रुपए वापस दिलाने का आदेश दिया।

इसके साथ ही आज के इस एपिसोड में मैं आपको यह भी बताने वाला हूं कि उपभोक्ता आयोग में उपभोक्ता द्वारा परिवाद प्रस्तुत करने के पश्चात किस तरह कंपनी अपना बचाव करती है और किस तरह एक उपभोक्ता अपने परिवाद में ठोस पैरवी करते हुए और अपने कानूनी और तार्किक तथ्य प्रस्तुत करते हुए इन ऑनलाइन कंपनियों को उपभोक्ता आयोग में न्याय का आईना दिखाते हैं ।

तो आइए देखते हैं की किस प्रकार एक उपभोक्ता अपने तथ्यों को उपभोक्ता आयोग में रखता है और किस प्रकार एक कंपनी अपने बचाव रूपी तथ्य उपभोक्ता आयोग में रखती हैं और किस तरह उपभोक्ता आयोग के पीठासीन अधिकारी और सदस्य गण बारीकी से दोनों पक्षों को सुनकर इन कंपनियों के विरुद्ध और उपभोक्ताओं के पक्ष में आदेश पारित करते है:-

सबसे पहले मैं आपके सामने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग बीकानेर के द्वारा निर्णय किए जा चुके परिवाद के अंश पेश कर रहा हूं और उसके बाद कंपनी ने क्या जवाब दिया तथा उपभोक्ता आयोग ने क्या टिप्पणी की और अंत में उपभोक्ता आयोग ने क्या आदेश पारित किया इसकी विस्तृत विवेचना आज की *पोस्ट के माध्यम से करने जा रहा हूं :-*

*सबसे पहले जानते हैं आखिर क्या था मामला:* बीकानेर निवासी एक महिला उपभोक्ता ने 8998 रुपये का भुगतान कर फ्लिपकार्ट व ई-कार्ट कम्पनी के माध्यम से सैमसंग गेलैक्सी मोबाईल खरीद करने का ऑनलाईन ऑर्डर दिया था। मोबाइल मिलने पर उपभोक्ता ने मोबाईल की पैकिंग खोलकर देखी तो मोबाईल पुराना एवं उपयोग किया हुआ लग रहा था। मोबाईल पर किसी अज्ञात व्यक्ति की फोटो भी लगी हुई थी। वहीं सैमसंग फाइनेंस का बकाया लोन 5016 रूपए एवं ऑनर का नाम कुमार राहुल बताया जा रहा था। उपभोक्ता ने कंपनी से इसकी शिकायत की मगर कोई समाधान नहीं हुआ। इस पर उपभोक्ता ने उपभोक्ता न्यायालय की शरण ली।

*कंपनी ने क्या जवाब दिया उपभोक्ता आयोग में देखें*

फ्लिपकार्ट ने अपना जवाब प्रस्तुत करते हुए कहा कि कंपनी के मध्य परिवादिया के साथ कोई अनुबंध नहीं है और परिवादिया कंपनी की उपभोक्ता नहीं है। कंपनी वस्तु की निर्माता अथवा विक्रेता नहीं है बल्कि वह तो मध्यस्थ के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का क्रियान्वयन एवं वहन करती है। वह व्यापारिक लेन-देन हेतु विक्रेताओं और खरीददारों को अपनी वेबसाइट द्वारा मंच प्रदान करती है। वह स्वयं किसी प्रकार की खरीद एवं बिक्री में प्रवृत्त नहीं रहते ।

कंपनी केवल पंजीकृत विक्रेताओं को उनकी स्वेच्छा द्वारा ही अपनी वेबसाइट के माध्यम से बिक्री की अनुमति देती है, जहां वह अपनी रूचि की वस्तुएं बेच सकते हैं।

फ्लिपकार्ट का कारोबार शॉपिंग मॉल के समान है, जहां विभिन्न प्रकार की वस्तुएं अलग-अलग दुकानों में बेची एवं खरीदी जाती है। ठीक उसी प्रकार फ्लिपकार्ट केवल एक ऑनलाइन बाजार है तथा खरीद एवं बिक्री में किसी प्रकार से उसकी कोई भागीदारी नहीं है।

*इसी प्रकार ई कार्ट कोरियर कंपनी ने* अपना जवाब प्रस्तुत करते हुए कहा कि ईकार्ट कंपनी एक कोरियर कंपनी है जो ऑनलाइन ट्रांजेक्शन द्वारा विक्रय किए गए विभिन्न उत्पादों के स्टोरेज, परिवहन एवं हैंडलिंग का कार्य करती है।

ईकार्ट कंपनी तो विक्रेता द्वारा ऑनलाइन विक्रय किए गए उत्पाद के भंडारण व परिवहन में मध्यस्थ की भूमिका निभाती है ।

किसी प्रकार के ऑफर व उत्पाद की गुणवत्ता के आश्वासन फ्लिपकार्ट कंपनी द्वारा दिए नहीं जाते हैं। ना ही किसी भी प्रकार से ई कार्ट कंपनी द्वारा दिया जाता है ।

उपभोक्ता ने ई कार्ट कंपनी के विरुद्ध स्पष्ट तौर पर किसी प्रकार की शिकायत अंकित नहीं की है। कंपनी का कार्य केवल उपभोक्ताओं द्वारा दिए गए पते पर वस्तुओं की डिलीवरी करवाना है और यदि ऐसा उत्पादन केश ऑन डिलीवरी द्वारा खरीदा गया है तो उसका मूल्य प्राप्त करना होता है। इसके अलावा विपक्षी कंपनी की समस्त समव्यवहार में किसी प्रकार की भूमिका नहीं रहती। इसलिए इस प्रकरण में ईकार्ट कोरिअर कंपनी को अनावश्यक रूप से पक्षकार बनाया गया है ताकि कंपनी को हैरान व परेशान किया जा सके।

अब देखिए किस प्रकार जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग बीकानेर ने कंपनी की सभी दलीलों को खारिज करते हुए उपभोक्ता के पक्ष में आदेश पारित किया –

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने निर्णय जारी करते हुए कहा कि उपभोक्ता ने उक्त मोबाइल खरीद करने हेतु ऑर्डर फ्लिपकार्ट कंपनी को दिया है। बिल पर ऑर्डर थ्रू फ्लिपकार्ट लिखा हुआ है।

इस प्रकार फ्लिपकार्ट को उपभोक्ता द्वारा भुगतान करना प्रमाणित हो रहा है। वहीं ईकार्ट कोरियर कंपनी फ्लिपकार्ट के सामान का भंडारण व परिवहन का कार्य करती है। फ्लिपकार्ट के निर्देशानुसार माल सुपुर्द करना एवं उपभोक्ताओं से माल की कीमत प्राप्त कर कीमत सेलर को देना है।

इस प्रकार उपभोक्ता एवं दोनों कंपनियों के मध्य ग्राहक और उपभोक्ता – सेवक के संबंध स्थापित होना प्रकट है।

जिस पर उपभोक्ता न्यायालय ने सुनवाई करते हुए फ्लिपकार्ट व ई-कार्ट कम्पनी को दोषी मानते हुए दोनों कंपनियों पर 16,998 का जुर्माना लगाकर जुर्माने की राशि उपभोक्ता को अदा करने के आदेश दिए हैं।

इस प्रकार आप देख सकते हो कि उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग बीकानेर किस तरह उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा कर रहे हैं और लापरवाही बरतने वाले सेवा प्रदाता कंपनियों को न्याय रूपी आइना दिखा रहे हैं। इसलिए आज की इस पोस्ट में मैंने उपभोक्ता आयोग की प्रक्रिया को आपके सामने लाने का सार्थक प्रयास किया है। उम्मीद है मुझे की इस पोस्ट को पढ़कर आप अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगे , और यदि इस पोस्ट को पढ़ने के पश्चात एक भी पीड़ित उपभोक्ता उपभोक्ता आयोग में जाकर अपने अधिकारों को प्राप्त करने का प्रयास करता है तो मेरा लिखने का उद्देश्य सफल होगा।

इसलिए जागरूक बने और अपने उपभोक्ता अधिकारों को पहचाने।
ऐसे ही कानूनी और तकनीकी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप फेसबुक पेज Anil Soni Advocate Bikaner से जुड़ सकते हैं।

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