नई दिल्ली, मोबाइल फोन से क्या अब एक-दूसरे से होने वाली निजी, पारिवारिक और व्यावसायिक हर बातचीत की कॉल रेकॉर्ड होगी?बातचीत का डेटा यूजर के संबंधित टेलीकॉम कंपनियों के पास कितना सुरक्षित होगा? 24 माह के अंदर सरकार व संबंधित विभाग किसी तरह की जरूरत पड़ने पर कॉल डेटा रेकॉर्ड (सीडीआर) मांग सकता है। इसके जरिए पड़ताल में मदद ले सकती है। कॉल डेटा रेकॉर्ड को सेव व प्राइवेसी को लेकर आम लोगों के मन कई तरह के सवाल हैं। जानते हैं इनके बारे में…
क्या-क्या रेकॉर्ड
कॉल डेटा रेकॉर्ड का मतलब किस नंबर से किस पर कॉल किया? किस जगह से, कितने बजे, कितनी देर तक बातचीत हुई है। दिन, सप्ताह व माह में कितनी बार बात हुई? कॉल को यदि दूसरे नंबर पर फॉरवर्ड किया है तो यह भी रेकॉर्ड होगा।
क्यों लिया फैसला
देश में कॉल रेकॉर्ड डेटा के लिए 18 माह तक सुरक्षित रखने का नियम था। अब 2 साल तक डेटा मुहैया कराना होगा। यह बदलाव एकीकृत लाइसेंस समझौते में संशोधन के तहत किया। कई जटिल मामलों की जांच में आसानी होगी।
कौन देख सकता है सीडीआर
कोई आपका सीडीआर नहीं देख सकता है। कोर्ट के आदेश के बाद संबंधित मामले की जांच के लिए पुलिस अधीक्षक व उससे सीनियर रैंक का अधिकारी दूरसंचार ऑपरेटरों से सीडीआर ले सकते हैं। टेलीकॉम कंपनियों को हर माह इसकी जानकारी डीएम को भी देनी होती है।
इन मामलों में मदद
किसी जांच को दोबारा शुरू करने के दौरान पुराने डेटा की • जरूरत पड़ती है
आरोपी के व्यवहार में बदलाव, किससे कितनी देर तक बात करता था
किसी अपराध से एक से दो साल पहले यूजर का कैसा व्यवहार था
Iवह किस तरह की वेबसाइट सर्च करता था, इंटरनेट पर क्या रुचियां थीं