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बीकानेर। नगर स्थापना दिवस पर पंतगबाजी के सीजन में चाइनीज मांझा खूब बिका,हालांकि प्रशासन और पुलिस ने इस जानलेवा मांझे की बिक्री पर पाबंदी लगा रखी थी। इसके बावजूद शहरभर में पंतगों की दुकानों पर इस प्रतिबंधित मांझे की बिक्री चोरी छूपे चलती रही। शहर के लालगुफा छींपो का मोहल्ला में एक मकान में चल रही पंतग विक्रेता से चाइनीज मांझे की चरखी मांगी तो उसने तुरंत चरखी निकाल कर दे दी। बातचीत में उसने बताया कि सप्ताहभर पहले ही तीन कॉर्टून चाइनीज मांझे की चरखियां मंगवाई है। इस मामले की पड़ताल में पता कि यूपी से आये पतंग विक्रेताओं साथ बीकानेर के स्थानीय पतग विक्रेताओं ने भी थोक के भाव चाइनीज मांझा बेचा। एक अनुमान के मुताबिक शहर में पतंगबाजी के इस सीजन एक करोड़ से ज्यादा का चाइनीज मांझा बिका । हालांकि बीकानेर कलक्टर और एसपी ने शहर में चाइनीज मांझा बेचने वालों के खिलाफ कार्यवाही के आदेश दे रखे थे,लेकिन प्रशासन और पुलिस की टीमो एक-दो जगहों पर कार्यवाही कर इतिश्री कर ली। ऐसे में कातिल मांझे की बिक्री पर शासन प्रशासन की पाबंदी बेअसर साबित हुई। खूब बिकने पर लोगों ने इस मांझे का इस्तेमाल भी खूब किया और मांझे ने भी अपना कहर खूब बरपाया। इसके कहर से पंतगबाजी के इस सीजन में करीब डेढ सौ ज्यादा लोग जख्मी हुई और सैंकड़ों परिन्दो ने अपनी जान गंवाई। मजे कि बात तो यह है कि शहर में चाइनीज मांझा बेचने वाले होलसेलर पंतग विक्रेताओं के बारे हर किसी को जानकारी थी,मगर प्रशासन और पुलिस इनके बारे में जानकारी नहीं जुटा पायी। कई सजग नागरिकों ने कार्यवाही के लिये प्रशासन और पुलिस की टीमों को सूचना भी दी लेकिन ज्यादात्तर जगहों से प्रशासन और पुलिस की टीमें बिना कार्रवाही के लौट आई। जानलेवा चाइनीज मांझे का शिकार इंसान ही नहीं बल्कि परिंदे भी होते हैं। पूरे साल अप्रेल और मई के महीनों में परिंदे खूब मांझे का शिकार होकर या तो मर जाते हैं अब सवाल यह उठता है कि जब चाइनीज मांझे की बिक्री पर रोक है, तो लोगों के हाथ में पहुंच कैसे रहा है। इसकी बिक्री पर लगाम लगाने में प्रशासन नाकाम कैसे रह रहा है।

-ज्यादा मुनाफे के चक्कर कर रहे जान से खिलवाड़
जानकारों के अनुसार चाइनीज खेप उत्तर प्रदेश के जरिए बीकानेर आती है। शहर में करीब एक दर्जन पंतग मांझा विक्रेता है जो उत्तर प्रदेश से इस जानलेवा मांझे की खेप मंगवाकर छोटे विक्रेताओं को सप्लाई करते है। इनमें से ज्यादात्तर विक्रेता बीकानेर मूल के नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के है जो पंतगबाजी के सीजन में यहां अस्थायी दुकानें लगाते है। बाजार में चाइनीज मांझा मांगने के लिए एक कोड वर्ड प्रचलित हो चुका है। इन दिनों बाजार में एक नए तरह का मांझा मौजूद है। बीकानेर में यह मांझा प्लास्टिक डोर के नाम से बिकता है। बताया जाता है कि मजबूत धार के कारण अच्छा मुनाफा कमाने के चक्कर में व्यापारी चाइनीज मांझा बेच रहे हैं। बरेली के मांझे से कई गुना कम कीमत में आसानी से चाइनीज मांझा व्यापारियों और ग्राहकों को उपलब्ध हो रहा है।

रात को चलता है सप्लाई का खेल
पंतग विक्रेताओं ने चाइनीज मांझे को बेचने के कई तरीके निकाल लिए हैं। चाइनीज मांझा अब दुकान से नहीं बल्कि विक्रेताओं के गोपनीय ठिकानों और घरों से सप्लाई हो रहा है। छोटे बच्चे की मदद और जानकारी के बिना शहर में चाइनीज मांझा खरीदना मुमकिन नहीं है। सूत्रों के मुताबिक चाइनीज मांझे का बड़ा कारोबार करने वाले व्यापारी छोटे दुकानदारों की पुष्टि कर ऑर्डर पर दूसरे दिन उनके स्थाई पते पर रात के अंधेरे में माल सप्लाई करते हैं।
-सख्त हो कार्रवाई तो मांझा बिकने पर लगे लगाम…
जानकारी में रहे कि साल 2017 में एनजीटी ने चाइनीज मांझे पर पाबंदी लगा दी थी। पाबंदी के आदेश में कहा गया था कि चाइनीज मांझा बेचने वालों के खिलाफ एनवायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट के तहत कार्रवाई की जाए। यदि किसी के खिलाफ इस अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी तो उसे पांच साल की सजा या एक लाख जुर्माना हो सकता है। वर्ष 2017 से चीनी मांझे पर पाबंदी के बाद बीकानेर में नाममात्र के केस दर्ज हुए है।

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