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बीकानेर,भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष शिवराज जाखड़ बताया कि एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में सन् 1730 में मां अमृतादेवी बिश्नोई के नेतृत्व में वृक्षों को बचाने के लिए हुए खेजड़ली बलिदान का पाठ पढ़ाया जाएगा। इससे बच्चों को पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा मिलेगी। इसके लिए जाखड़ ने केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न किसानों के मसीहा चौधरी चरणसिंह वर्ष 1967 में यूपी के मुख्यमंत्री थे। उनके मुख्यमंत्री काल में ही उनके बेटे अजित सिंह का विवाह कांठ क्षेत्र के फत्तेहपुर विश्नोई गांव के रहने वाले कुंवर सुखवीर सिंह बिश्नोई की बेटी राधिका बिश्नोई से हुआ था। राधिका की कोख से बेटे का जन्म हुआ, नाम रखा जयंत चौधरी। अपने दादाजी और पिताजी के बाद जयंत चौधरी ने राजनीतिक विरासत को संभाला, अनेक उतार चढ़ाव देखे। सन् 2024 में हुए लोकसभा चुनावों में जयंत एनडीए का हिस्सा बने और सरकार आने पर केंद्र में मोदी मंत्रीमंडल में भारी भरकम मंत्रालय मिला -कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री। राजस्थानी में कहावत है नर नानाणे जाता है। बिश्नोई समाज के प्रति उनका प्रेम कईं बार सार्वजनिक हुआ।
जब किसी व्यक्ति विशेष की अपराधिक प्रवृत्ति को बिश्नोई गैंग नाम देकर प्रिंट और सोशल मीडिया में प्रचारित किया जाने लगा तो यह जयंत भाई को अच्छा नहीं लगा की एक की ग़लती के कारण पूरे समाज को टारगेट नहीं किया जाना चाहिए और विरोध स्वरूप उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर अपना नाम जयंत बिश्नोई लिखा। इसी संदर्भ में उनकी कईं बार मेरे से बात हुई और इस प्रकार उनके साथ मेरा परिचय बढ़ता गया। जब वे 2024 में मोदी मंत्रीमंडल में शपथ ले रहे थे तो उस समय मुझे इसका साक्षी बनने का अवसर मिला। मंत्री बनने के बाद जयपुर आए तो वहां भी स्वागत करने का अवसर मिला। जयपुर यात्रा के दौरान उन्होंने मुझसे मुकाम जाने की इच्छा व्यक्त की, हमने इसकी तैयारियां शुरू कर दी। कुछ समय बाद 7 अक्टूबर 2024 को इनका कार्यक्रम बना। नाल हवाई अड्डे पर हमने इनकी अगुवानी की। बीकानेर में रात्रि विश्राम के बाद हमने दूसरे दिन मुकाम की यात्रा शुरू की, मैं इनके साथ ही गाड़ी में था, इन्होंने बिश्नोई समाज के इतिहास के बारे में विस्तृत चर्चा की। हम पहले पांचू गए, वहां शहीद…. को श्रद्धांजलि देने के बाद हमारे अनुरोध पर मंत्री जी ने पांचू आईटीआई में विशेष कोर्स शुरू करने का आदेश दिया। इसके बाद माडिया गांव में मंत्रीजी का जोरदार स्वागत हुआ और भाई जगदीशजी गोदारा के निवास स्थान पर उन्होंने जाम्भाणी जीमण का रसास्वादन किया। भोजनोपरान्त मंत्रीजी मुकाम पहुंचे और गुरु जम्भेश्वर भगवान के चरणों में माथा टेका और देश और समाज की खुशहाली के लिए प्रार्थना की। अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा कार्यालय में समाज की ओर से मंत्री जी का अभिनंदन किया गया। इसमें मैंने मंत्रीजी से निवेदन किया कि आपके पास शिक्षा मंत्रालय है और बिश्नोई समाज के पास गुरु जम्भेश्वर भगवान की पर्यावरणीय चेतना से भरपूर वाणी तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए हुए बलिदानों का इतिहास है। इस वाणी और इतिहास से विश्व को प्रेरणा मिले इसके लिए आप इसे एनसीईआरटी के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करवाने की कृपा करें। पाठ हमारी जाम्भाणी साहित्य अकादमी के विद्वान तैयार करके दे देंगे। मंत्रीजी को यह प्रस्ताव बहुत प्रिय लगा और उन्होंने मुकाम की धरती पर ही अपने उद्बोधन में इसकी सहर्ष स्वीकृति प्रदान कर दी तथा इसके लिए तुरंत प्रभाव से उदयपुर में एनसीईआरटी की डायरेक्टर श्रीमती श्वेता फगेड़िया को बोल दिया। श्वेताजी से मेरा पूर्व परिचय था और मंत्रीजी ने भी विशेष ध्यान से कहा तो उन्होंने दिन-रात एक करके यह कार्य किया। जाम्भाणी साहित्य अकादमी के विद्वानों ने पाठ बनाकर भेजे। अंततोगत्वा कक्षा 3 और 5 में खेजड़ली बलिदान और कक्षा 4 में राजस्थानी संस्कृति का पाठ लग गया। अन्य कक्षाओं के लिए भी पाठ तैयार हो रहे हैं और प्रयास रहेगा कि शीघ्र ही वे भी स्वीकृत हो जाएं। गुरु जम्भेश्वर जी की असीम अनुकम्पा,कलम से जाम्भाणी साहित्य लिखने वाले संत-कवि, वन एवं वन्यजीवों के बलिदान देकर अपने खून से इतिहास रचने वाले जाम्भाणी बलिदानियों के अनुग्रह के लिए मैं उनके चरणों में नतमस्तक हूँ। मैं आदरणीय भाई साहब जयंत चौधरी मंत्रीजी का हृदय से आभारी हूँ,उनका आभार व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है, उनके स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की मैं भगवान से कामना करता हूँ। बिश्नोई समाज के प्रति इनका स्नेह इसी प्रकार बना रहे। राजस्थान सरकार में राज्य मंत्री श्री के के बिश्नोई, एनसीईआरटी उदयपुर की डायरेक्टर श्रीमती श्वेता फगेड़िया,जाम्भाणी साहित्य अकादमी की अध्यक्षा प्रो (डॉ) इंद्रा विश्नोई, पूर्व महासचिव डॉ सुरेंद्र खिचड़, मेरे गुरु जंभदास जीमहासचिव एकादमी पाठ के लेखक डॉ मनमोहन लटियाल का भी आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने अथक प्रयास करके इस कार्य को 7आजादी के 75साल बाद मूर्त रूप दिया !
मैं एक सेवक की भूमिका में हूँ सभी वरिष्ठ जनों का और युवाओं की मुझे इस तरह के कार्य करने की प्रेरणा मिलती है उन सभी का हार्दिक आभार

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