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बीकानेर,महान स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रांतिकारी ठा. केसरी सिंह बारहठ की 151 वीं जयंती दम्मानी धर्मशाला स्थित जे. एस. बी. चेरिटेबल लैब परिसर में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी के मुख्य अतिथि साहित्यकार जगदीश रतनू थे। अध्यक्षता पूर्व प्राचार्य, चिंतक व लेखक प्रोफेसर डॉ. नरसिंह बिनानी ने की। गोष्ठी के प्रारंभ में अतिथियों द्वारा केसरी सिंह बारहठ के तेलचित्र पर माल्यारपण कर भाव सुमन अर्पित किये गए।
गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए साहित्यकार जगदीश रतनू ने कहा कि ठा. केसरी सिंह बारहठ राजपूताने में सशस्त्र क्रांति के अग्रदूत थे। उन्होंने अपने पूरे परिवार को ही स्वाधीनता संग्राम में झोंक दिया था।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पूर्व प्राचार्य, चिंतक व लेखक प्रोफेसर डॉ. नरसिंह बिनानी ने कहा कि ठा. केसरी सिंह बारहठ द्वारा देश की आजादी आंदोलन के लिए किया गया त्याग, बलिदान व योगदान आज के युवाओं के लिए अनूठा एवं प्रेरक है।
गोष्ठी में जे. एस. बी. चेरिटेबल लैब के संस्थापक डॉ. जगदीश बारठ ने अपने विचार रखते हुए बताया कि ठा. केसरी सिंह बारहठ के 25 वर्षीय पुत्र कुंवर प्रताप सिंह बारहठ युवा अवस्था में ही देश की आजादी की बलिवेदी पर शहीद हो गए थे। उनके अनुज ठा. जोरावर सिंह बारहठ और दामाद ईश्वर दान आशिया भी विख्यात स्वतंत्रता सेनानी थे।
गोष्ठी में कवि जुगल किशोर पुरोहित ने अपनी कविता के माध्यम से ठा. केसरी सिंह बारहठ को श्रद्धा सुमन अर्पित किये। गोष्ठी में गुमान दान गाड़ण, आसिफ आदि सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे। गोष्ठी का संचालन डॉ. जगदीश बारठ ने किया।

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