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जयपुर.राजस्थान में वर्ष 2023 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Elections) से पहले राजनीतिक दलों ने अपनी जमीन तलाशनी शुरू कर दी है.एक और जहां मुख्य राजनीतिक दल बीजेपी और कांग्रेस अपनी अपनी तैयारियों में जुटी हुई है तो वहीं अब अन्य पार्टियां भी तीसरी ताकत के रूप में अपना दमखम दिखाने के लिए तैयार हैं. राजस्थान में पिछले विधानसभा चुनाव में पहली बार पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने वाली हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को चार सीटों पर सफलता मिली थी. उसकी परफॉर्मेंस देखने के बाद इस बार अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM (Arvind Kejriwal and Asaduddin Owaisi) भी अपनी किस्मत आजमाने के लिए पूरी तरह तैयार है.

दिल्ली में 2 बार सरकार बनाने और पंजाब में सफलता हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी की अब दिल्ली और पंजाब बॉर्डर से सटे राज्य राजस्थान से काफी उम्मीदें हैं. इसलिए ये पार्टी पूरे दमखम के साथ राजस्थान विधानसभा चुनाव के रण में कूदने की तैयारी कर रही है. इसके लिए आने वाले समय में खुद पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल राजस्थान के विभिन्न क्षेत्र में बड़ी रैलियां और जनसभाएं करने वाले हैं. आम आदमी पार्टी को राजस्थान में बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद है. इसके लिए संगठन को विस्तार दिया जा रहा है. वहीं हर सीट पर जिताऊ और टिकाऊ प्रत्याशी भी तलाश किए जा रहे हैं.

ओवैसी 14 और 15 सितम्बर को करेंगे पांच बड़ी सभाएं

राजस्थान विधानसभा चुनावों के लिए असदुद्दीन ओवैसी ने भी कमर कस ली है. ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन राजस्थान में शेखावाटी से चुनावी बिगुल बजायेगी. जानकारी के मुताबिक प्रदेश में AIMIM को मजबूत करने के लिए ओवैसी 14 और 15 सितंबर को शेखावाटी इलाके में जिलों का दौरा करेंगे. वे सूबे में पहली बार 4 जनसभाओं को भी संबोधित करेंगे. एआईएमआईएम राजस्थान में 40 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है.

अल्पसंख्यक वोटों पर है ओवैसी की नजर

ओवैसी के दौरे को लेकर पार्टी की ओर से बताया गया है कि ओवैसी 14 सितंबर को सीकर जिले के फतेहपुर, झुंझुनूं के नवलगढ़ और नागौर के खींवसर में चुनावी सभा संबोधित करेंगे. वहीं जयपुर की किशनपोल और हवामहल विधानसभा क्षेत्रों में जनसभाएं करेंगे. माना जा रहा है कि ओवैसी इस दौरे में अल्पसंख्यक वोटर्स पर पूरा फोकस रखेंगे. वहां अल्पसंख्यक वर्ग कांग्रेस का परंपरागत और बड़ा वोट बैंक है. ऐसे में ओवैसी के दौरे से कांग्रेस की चिंता बढ़ सकती है. शेखावाटी अंचल में अल्पसंख्यक वोटर बरसों से कांग्रेस को जिताते रहे हैं. ऐसे में अब ओवैसी के चुनावी मैदान में आने से समीकरण बदल सकते हैं.

राजस्थान से जुड़े नेता भी पार्टी बनाकर कर चुके हैं प्रयास

भले ही AIMIM और आम आदमी पार्टी राजस्थान में वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पूरी ताकत झौंकने जा रही हो. लेकिन इनसे पहले राजस्थान में आदिवासी नेता किरोड़ीलाल मीणा ने अपनी पार्टी राजपा बनाई थी. उनके सिर्फ 2 विधायक जीत पाए थे. उसके बाद भारतीय जनता पार्टी से अपनी राह बदलने वाले वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में दीनदयाल वाहिनी पार्टी बनाई थी लेकिन वह पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुई. आलम यह रहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में वे कांग्रेस में शामिल हो गए और फिर वापस बीजेपी का दामन थाम लिया. अब वे बीजेपी से राज्यसभा के सांसद हैं. अपनी ताकत पर पार्टी बनाने वाले हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को जरूर 2018 के विधानसभा चुनाव में अच्छा रिस्पॉन्स मिला. उनकी पार्टी के 4 विधायक चुने गए. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन कर आरएलपी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने नागौर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.

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