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बीकानेर। यह बहुत अच्छी बात है कि राजस्थानी सिनेमा के विकास हेतु राजस्थान सरकार ने नई नीति को मंजूरी दी है, लेकिन सिर्फ कागजों में नीति बनाकर रखने से राजस्थानी सिनेमा का भला होने वाला नहीं है। राजस्थानी भाषा की दर्जनों फिल्में और उनके निर्माता आज भी सरकार की ओर से देय अनुदान का लम्बे समय से इंतजार कर रहे हैं। फिल्म निर्माता निर्देशक राजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि अनुदान देने की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं होने से सरकार द्वारा बनाई गई नीति फिल्म निर्माताओं के लिए अनीति ही साबित हो रही है। कई माह गुजर जाने के बाद भी फिल्मों का प्रीव्यू तक नहीं होता है। जबकि कला एवं संस्कृति विभाग सचिवालय जयपुर में फिल्म जमा होने के 7 दिन के भीतर अनुदान राशि जारी हो जानी चाहिए, तभी सिनेमा विकास की नीति कारगर हो सकेगी। अन्यथा चाहे जितनी नीतियां बनाकर रख लो, राजस्थानी सिनेमा का उत्थान नहीं हो सकता। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कला एवं संस्कृति मंत्री बीडी कल्ला को इस तरह ध्यान देना चाहिए। आखिर सब कुछ होने के बाद भी फिल्मों को अनुदान राशि जारी करने में क्या अड़चन आ रही है। समय गुजरता जा रहा है, जिन फिल्मों को दिसंबर 2021 में अनुदान मिल जाना चाहिए था, उन्हें आज तक कुछ नहीं मिला है। फिल्मों को समय पर अनुदान राशि नहीं मिलने से निर्माता बहुत परेशान हो रहे हैं। सरकार के सहयोग के बिना फिल्में प्रदर्शित नहीं हो रही है। सिनेमाघर राजस्थानी फिल्मों को प्रदर्शित करने के लिए पहले दाम मांगते हैं। उन्हें राजस्थानी फिल्मों को प्रदर्शित करने हेतु पाबंद किया जाना चाहिए। वर्तमान समय में तो राजस्थानी सिनेमा और राजस्थानी फिल्म निर्माताओं के साथ सरासर अन्याय ही हो रहा है। यह राजस्थानी सिनेमा के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस सरकार के लिए भी शुभ संकेत नहीं है। ऐसी गंभीर स्थिति में मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे खुद शीघ्र ही आगे आकर राजस्थानी फिल्मों को अनुदान राशि जारी करवाएं, ताकि राजस्थानी सिनेमा को गति मिल सके।

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