बीकानेर, स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय द्वारा यूनिवर्सिटी सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत गोद लिए गए गांव कावनी में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पर एक दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम गाँव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयोजित हुआ। अतिरिक्त निदेशक (बीज ) एवं नहेप के प्रभारी डॉ एन के शर्मा ने कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में 250 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया जिसमें की विद्यार्थी, शिक्षक एवं गांव के स्थानीय व्यक्ति भी सम्मिलित है । प्रशिक्षण कार्यक्रम में यौगिक क्रियाओं, प्राणायाम और प्राकृतिक चिकित्सा की विभिन्न पद्धतियों के बारें जानकारी दी गई। प्रशिक्षणार्थियों को काढ़ा पिलाया गया एवं काढ़ा बनाने की विधि बताई गई। उपस्थित सभी विद्यार्थियों को दो-दो पौधे नींबू व जामुन के वितरित किए गए। अभिभावकों को भी पौधे वितरित किए गए एवं अल्पाहार के रूप में विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किए गए बाजरा से बने उत्पाद परोसे गए।
कुलपति प्रो. आर पी सिंह ने कहा कि कोरोना काल में संक्रमण से बचते हुए, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानी है। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति, कम खर्च और तनाव मुक्त रोग उपचार के क्षेत्र में सर्वोत्तम है। योग के प्रति विद्यार्थियों एवं गांव वालों को जागरूक किया ‘पहला सुख, निरोगी काया’ के मूलमंत्र को ध्यान में रखकर प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाना चाहिए। इस पद्धति से रोग मुक्ति के साथ- साथ आध्यात्मिक रूप से भी मजबूती मिलती है। प्राकृतिक चिकित्सा व योग के मार्ग के चलकर जीवन में पूर्ण सुख, शांति व आनंद प्राप्त किया जा सकता है। उत्तम स्वास्थ्य हेतु प्रतिदिन इस योग क्रियाओं का अभ्यास करना होगा। डॉ शर्मा ने बताया कि आज के शिविर में दी गई जानकारियां, विद्यार्थियों और शिक्षकों तक सीमित ना रह कर, उनसे जुड़े समाज व परिवार वालों तक भी पहुंचेगी और समाज एवं योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को लाभ होगा। योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र के निदेशक डॉ. देवाराम काकड़, डॉ उपेंद्र , डॉ दाताराम व डॉ दुर्गाशंकर उपस्थित रहे। राज्य सरकार द्वारा जारी कोविड दिशा निर्देशों व कोविड उपयुक्त व्यवहार (फेस मास्क और सोशल डिस्टेन्स) की पालना सुनिश्चित की गई।