बीकानेर,जयपुर, आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत देश की अग्रणी साहित्यिक संस्था कलमकार मंच एवं डॉ. राधाकृष्णन पुस्तकालय की ओर से वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार ईशमधु तलवार की जयंती पर आयोजित ‘काव्यांजलि’ में मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी एवं वरिष्ठ व्यंग्यकार फारूक आफरीदी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि साहित्य समाज की खिदमत करने का बेहतरीन जरिया है। साहित्य जीवनभर साथ चलता है और मृत्यु के बाद भी चलता है। वरिष्ठ साहित्यकार नंद भारद्वाज के मुख्य आतिथ्य में आयोजित इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद वरिष्ठ कवि सवाईसिंह शेखावत, मशहूर शायर लोकेश कुमार सिंह ‘साहिल’, वरिष्ठ समीक्षक एवं आलोचक राजाराम भादू, फिल्म पटकथा लेखक एवं गीतकार डॉ. दुष्यन्त और साहित्यकार एसीपी, रामगंज सुनील प्रसाद शर्मा के अलावा स्व. तलवार के पुत्र डॉ. अनीश तलवार ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर कलमकार मंच के राष्ट्रीय संयोजक निशांत मिश्रा ने जानकारी दी कि आगामी दिसम्बर में आयोजित होने वाले ‘कलमकार’ पुरस्कार समारोह के अवसर पर ईशमधु तलवार के व्यक्तित्व एवं कृतित्व एवं संस्मरणों पर केंद्रित कलमकार पत्रिका का प्रकाशन किया जाएगा, जिसमें देश के वरिष्ठ साहित्यकारों और पत्रकारों के संस्मरण व आलेख शामिल होंगे। ‘किस्सागोई’ फेम लेखिका उमा, ‘दास्तान-ए-हजरत’ फेम लेखिका तसनीम खान, श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष हरीश गुप्ता, रमेश शर्मा और नवल शर्मा ने भी स्व. तलवार से जुड़े संस्मरणों को साझा किया।
‘काव्यांजलि’ में अनुराग सोनी ने ‘यादों के गलियारों से वो मेरा बचपन लाना तुम’, डॉ. कविता माथुर ने ‘मैं अब उस गुलमोहर को नहीं देखती’, अवनींद्र मान ने ‘सोचता हूँ अब तुमसे नाराज हो जाऊँ’, महेश कुमार शर्मा ने ‘ चिड़िया चीं चीं करती है फिर सो जाती है’, शालिनी अग्रवाल ने ‘ क्या अंतर है कचरा बीनने वालों और हीरा ढूँढ़ने वालों में’, सोनू यशराज ने ‘नायक सदा जन्मते हैं इतिहास बदलने को’ और ज्योति पारीक ने ‘माफी मांगनी है तुमसे हर उस क्षण के लिए’ सुनाकर लाईब्ररी सभागार में मौजूद साहित्यप्रेमियों की दाद बटोरी। इनके अलावा ज्ञानवती सक्सेना, स्मिता शुक्ला, शिल्पी पचौरी, स्नेह साहनी, सुशीला शर्मा, सुनीता बिश्नोलिया, मीनू कँवर, डॉ. उषा दशोरा, गोविन्द भारद्वाज, प्रज्ञा श्रीवास्तव, सूर्य प्रकाश उपाध्याय, उर्मिला और विशाल ने भी अपने रचना पाठ के माध्यम से ईशमधु तलवार को श्रद्धासुमन अर्पित किये। संपूर्ण कार्यक्रम का सोशल मीडिया पर सजीव प्रसारण किया गया जिसे देशभर के सैकड़ो साहित्यप्रेमियों ने देखा। अंत में डॉ. राधाकृष्णन लाईब्रेरी की अधीक्षक रेखा यादव ने सभी आगुन्तकों का आभार व्यक्त किया।