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बीकानेर,आकाशवाणी जयपुर ( प्रसार भारती) द्वारा बीकानेर के जूनागढ़ किले के प्रांगण में G-20 सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत कवि सम्मेलन ‘इन्द्रधनुष’ का आयोजन किया गया।

इस ऐतिहासिक कवि सम्मेलन में देश के जाने माने कवियों ने पांच अलग-अलग भाषाओं में अपनी रचनाएं प्रस्तुत करते हुए श्रोताओं को कार्यक्रम के अंत तक बांधे रखा। संस्कृत भाषा में डॉ. रामदेव साहू ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ रचना के माध्यम से एकता का संदेश दिया। स्थानी में श्रीमती शारदा कृष्ण ने अपनी रचना ‘रोटी मां के हाथ की’ के द्वारा जिंदगी की उठा पटक का शानदार चित्रण किया। उर्दू के शायर बुनियाद हुसैन ने ‘मुहब्बत ही तो रहमत है, यही दुनिया की जीनत है’ में आज के जमाने में मुहब्बत को बढ़ाने पर जोर दिया। सिंधी के वरिष्ठ कवि हरीश करमचंदानी ने अपनी कविता में विश्व बन्धुत्व और भाईचारे की संस्कृति का जिक्र किया। हिंदी के ख्यातनाम कवि नवनीत पाण्डेय ने अपनी रचना एक भी हरा पत्ता जब झरता है, पेड़ को पेड़ होते देखनेवाली आंख ही देख पाती है’ के द्वारा पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।

आकाशवाणी जयपुर की सहायक निदेशक (कार्यक्रम) डॉ. अर्चना सिन्हा ने बीकानेर को साहित्य प्रेमियों का हब बताया। आकाशवाणी बीकानेर केन्द्र के कार्यक्रम प्रमुख अमित सिंह ने आगन्तुकों को धन्यवाद देते हुए बताया कि जी-20 के अंतर्गत हो रहे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत ये कवि सम्मेलन आज बीकानेर में सम्पन्न हुआ है। बीकानेर के श्रोताओं ने कवि सम्मेलन में आये सभी कवियों की कविताओं को खूब पसंद किया। कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी बीकानेर केन्द्र की उद्घोषिका सुश्री मंदाकिनी जोशी ने किया।

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