बीकानेर,’रचनाकार हिंदू या मुसलमान नहीं सिर्फ इंसान होता है और इंसानियत की बात करता है। वह किसी भी धर्म या ज़ात से ऊपर होता है। वह जहां कहीं भी कोई विद्रूपता देखता है, उसे इंगित करके अपनी रचनाओं के माध्यम से उसका विरोध दर्ज करवाता है। यही ईमानदारी उसे साहित्यकार बनाए रखती है।’ यह उद्गार व्यक्त किए नगर के साहित्यकार शायर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी ने । क़ासिम रविवार को सृजन सेवा संस्थान के गंगानगर के जवाहरनगर स्थित महाराजा अग्रसेन विद्या मंदिर सैकेंडरी स्कूल में आयोजित मासिक कार्यक्रम ‘लेखक से मिलिए’ में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि शायरी में उस्ताद का होना भी बहुत ज़रूरी है। जब तक हम उस्ताद से इस्लाह नहीं लेते, तब तक हम शायरी की बारीकियों को नहीं समझ पाते।
नगर के वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा ने कहा कि क़ासिम बीकानेरी का श्रीगंगानगर में सृजन सेवा संस्थान के कार्यक्रम लेखक से मिलिए में भागीदारी करना और सृजन साहित्य सम्मान से सम्मानित होना हम सबके लिए गौरव की बात है । क़ासिम ने लंबी कविता की श्रृंखला में लंबी ग़ज़ल कहकर नगर को जो मान सम्मान दिलाया उसके लिए उनकी जितनी ता’रीफ़ की जाए वह कम होगी ।
सोजत के वरिष्ठ साहित्यकार अब्दुल समद राही ने कहा कि क़ासिम बीकानेरी को अब तक देश की विभिन्न संस्थाओं द्वारा 135 से अधिक सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं, जो बहुत ही सराहनीय है । आपका साहित्य समर्पण बेमिसाल है ।
सृजन सेवा संस्थान श्रीगंगानगर के उक्त कार्यक्रम में क़ासिम ने अलग-अलग मिज़ाज़ की शायरी प्रस्तुत करके श्रोताओं से ख़ूब प्रशंसा बटोरी। देशभक्ति और क़ौमी एकता को केंद्र में रखते हुए उन्होंने अपनी ग़ज़ल के इन शे’रों से श्रोताओं में देशभक्ति का जज़्बा भर दिया-‘मेरा ये दिल है लिख देना तू मेरी जान लिख देना, कफ़न के हर सिर पर मेरे हिंदुस्तान लिख देना, हमें काशी से उल्फ़त है, हमें का’बे से निस्बत है, सभी पर है निछावर ये हमारी जान लिख देना।’ क़ासिम ने अपनी चार सौ चार अशआ़र वाली एक तवील ग़ज़ल के कुछ शे’र भी पेश किए। उन्होंने मौजूदा हालात को इंगित करते हुए कहा-‘एक पल में उजाड़ दी बस्ती, एक सदी लगती है बसाने में।’ साथ ही आपने-अपने क़तआ़त के जरिए वर्तमान हालात और सामाजिक विद्रूपताओं पर भी करारी चोट की । क़ासिम के कलाम को श्रोताओं ने संजीदगी के साथ सुना और गंभीरता के साथ उस पर अपनी जिज्ञासाएं रक्खी।
कार्यक्रम के दौरान बहु भाषाविद भूपेंद्रसिंह, कवयित्री मीनाक्षी आहुजा एवं ऋतुसिंह ने उनसे कुछ सवाल किए, जिनका उन्होंने बड़ी सहजता से जवाब दिया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि लॉयन्स क्लब सेंटर श्रीगंगानगर के अध्यक्ष परविंदर लूणा ने कहा कि साहित्यकार जवानी में जो लिखता है, वह बुज़ुर्गों जैसी बात करता है। यह लेखन उसे विशिष्ट बनाता है। कार्यक्रम के अध्यक्ष पुरोहित ब्लड बैंक के अध्यक्ष विष्णु पुरोहित ने इस तरह के कार्यक्रमों के लिए शुभकामनाएं दीं।
इस मौक़े पर क़ासिम बीकानेरी को सृजन सेवा सम्मान प्रदान किया गया। कार्यक्रम अध्यक्ष पुरोहित, विशिष्ट अतिथि लूणा, सृजन के संरक्षक विजय गोयल, अध्यक्ष डॉ. अरुण शहैरिया ‘ताइर’ एवं संयोजक डॉ. संदेश त्यागी ने उन्हें शॉल ओढ़ाकर, सम्मान प्रतीक व साहित्य भेंट करके सम्मानित किया।
क़ासिम बीकानेरी के सृजन साहित्य सम्मान से सम्मानित होने पर नगर एवं प्रदेश के अनेक रचनाकारों ने उन्हें बधाइयां प्रेषित की जिनमें कमल रंगा, नंदकिशोर सोलंकी, अब्दुल समद राही सोजत, बुनियाद ज़हीन, मोहम्मद फ़ारुक़ चौहान, गिरिराज पारीक, अब्दुल वाहिद अशरफ़ी, मोहम्मद इसहाक़ ग़ौरी, मोहम्मद इस्माइल ग़ौरी, माजिद खान ग़ौरी, इसरार हसन क़ादरी,मधुरिमा सिंह, घनश्याम सिंह हरिनारायण आचार्य, राजेश रंगा,भवानी सिंह, गंगाबिशन बिश्नोई, संतोष शर्मा, पुखराज सोलंकी, डॉ.ज़ेबा रशीद, युसूफ़ कमाल, कृष्ण कुमार सैनी, मुकेश मारवाड़ी, प्रेमलता सोलंकी ने बधाइयां प्रेषित की ।
कार्यक्रम में ममता आहुजा, सुषमा गुप्ता, सुशीला कुमारी, अरुण खामख्वाह, बीएस चौहान, योगराज भाटिया, सुरेश कनवाडिय़ा, डॉ. आशाराम भार्गव, कैलाश दिनोदिया, डॉ. ओपी वैश्य, आशीष अरोड़ा, रमेश कुक्कड़, अमित चराया, कृष्णकुमार आशु, कृष्ण वृहस्पति, बालकृष्ण लावा, राजकुमार सिंगल, ऋषभ पैंसिया, बन्नी गंगानगरी, विजयकृष्ण कौशिक, नरेंद्र भठेजा व गौरव गुप्ता सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार एवं साहित्य प्रेमी मौजूद थे।