












बीकानेर,राष्ट्रीय कवि चौपाल 546 वीं श्रंखला आंतकवाद खिलाफ हमारे जवान को समर्पित रही। आज के कार्यक्रम की अध्यक्षता में कुलदीप गोतम, मुख्य अतिथि में विजय कोचर विशिष्ट अतिथि में भानू प्रताप सिंह देशनोक व सरदार अली परिहार सुशोभित हुए। रामेश्वर साधक ने कार्यक्रम शुभारम्भ स्व बौद्धिक में कहा कि.. हीरो वो नहीं नचनिये – गवनिये जो फिल्मों में कहे जाते हैं, राष्ट्रीय नायक है वो,भर जुनून..आंतकियो को मार नर से नारायण बन जाते हैं। कर्म राष्ट्र सेवा, धर्म आतंकी को मारना, घर परिवार को भूल जाते हैं, कहां परवा जीने की राष्ट्रीय हित में फांसी तक झूल जाते हैं
आतंकियों से मुठभेड़ करने वाले हीरो 11 – 11 गोली खाकर भी स्वयं को भूल कर देश सुरक्षा का जज्बा जिंदा शहीद कारगिल युद्ध के हीरो सेना के हवालदार कुलदीप गोतम व देश भक्ति और सेवा के लिये राष्ट्रीय हिंदु रत्न से सम्मानित विजय कोचर का शाॅल, श्री फल माल्यार्पण द्वारा सम्मान किया गया
कार्यक्रम अध्यक्ष कुलदीप गौतम ने भारत मां के जयकारे के साथ हृदयस्थ बात रखी … आर पार गोलियों से छलनी हुए, पर मेरा जिंदा रहना भी जरूरी था, सरहद पर देश के सैनिकों का दर्द..आप सबको बताना भी जरूरी था धूप बड़ी या सर्दी कड़ी हो, वर्षा की लग रही झड़ी हो, आंधी- तूफान डटे रहे, राष्ट्र धर्म से करके हम, मार सैनिक आगे बढ़ाए कदम, वीर भारत के बालक हम। मुख्य अतिथि राष्ट्रीय हिन्दू रत्न विजय कोचर ने कहा देश की आन बान शान है भारत की सैना.. देश प्रेम पुजारी, जां बाज दिलाने हो तेरा क्या कहना.. विशिष्ट अतिथि भानू प्रताप सिंह देशनोक देश के वीर योद्धा के प्रति भाव में कहा मूरली रण में झूंझतो, चटाई पाक ने धूल, दुःख में से सुख निकालें, स्वयं को भूल … सरदार अली परिहार ने सदन की करतल ध्वनि के साथ चलता चल भाई चलता चल, देश की शान में रचता चल शानदार रचना सुनाई
शिव दाधीच बीकानेरी : मेरी कविता उस मेहंदी पर ,जो रचते रचते अभी अभी जो लाल हुई । सुहाग सेज पर बैठी दुल्हन बोलीं। दुश्मन ने सीमा फिर ललकारा है, सीमा पर पहले तुम लड़ने जावो, दुश्मन के तुम सर काटो फिर आकर मांग मेरी तुम भर लेना …. लीलाधर सोनी : सजग रहना वीर सिपाही सरहद आठों प्रहर, सरहद आठों प्रहर बरसादो दुश्मनों पर कहर.. विशाल भारद्वाज : दुश्मन जब भी आंख उड़ाए, देश की वो ढाल बन जाएं, नभ में गुंजा तेरा नाम हे वीर तुम्हें प्रणाम… बम चकरी : दिल पवित्र भारत के लोगों का मन में बहती गंगा है,,,नही चाहते रक्त की नदियां हाथों में तिरंगा है… देश प्रेम की कविता सुनाकर सदन में वाह वाह लूंटी
राजकुमार ग्रोवर : आंतकी का दीन धर्म इमान नहीं, वो सिख हिंदू ईसाई मुसलमान नहीं… रामेश्वर साधक: मुसीबत झेले मृत्यु से खेलें अंतिम दम तक, प्राण न्यसौछावर कर पर विजय के लहराए परचम।। सुख चैन से सोए हम, बाॅर्डर खडे़ हमारे जांबाज.. हां हे ये सच…! जगत में प्रत्यक्ष भगवान…!! हमारे वीर जवान.. कैलाश टाक : दिल में अरमान रखता हूं, देश की मिट्टी की पहचान रखता हूं, देश धर्म से पहले दिल हिंदुस्तान रखता हुं.. कासिम बीकानेरी वतन की आन बन जाओ वतन की शान बन जाओ। मिटादो नफरतें सारी सभी इंसान बन जाओ… तुलसी राम मोदी : मौत खड़ी ललचावै, जीवन री ज्यान लड़ा दी… कृष्णा वर्मा : सैनिक की ललकार करती हैं फरियाद, ये धरती कई हजारों साल तब जाकर पैदा होता है एक शहीद लाल.. सौरभ कश्यप : इन कोढ ग्रस्त अंधेरे से बाहर जो अंधेरे है,अंधेरों में जो चमकते, चीखते लुटेरे हैं,.. कैलाश चारण देशनोक : उजाल्यो हिंद ताज रो,मरूधर रा मोती आछो लायो रे रण जात रो
आज के कार्यक्रम में साहित्य वृंद द्वारा 17 रचनाओं का लोकार्पण हुआ तथा कार्यक्रम में लोकेश हेमकार, शिव प्रकाश शर्मा, घनश्याम सौलंकी, छोटू खां, निसार अहमद, भवानी सिंह , धनंजय आदि कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे शिव दाधीच ने शेर शायरी के साथ चुटिले अंदाज के साथ कार्यक्रम का बखूबी संचालन किया
जय साहित्य जय साहित्यकार
