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बीकानेर, रांगड़ी चौक के सुगनजी हाराज के उपासरे में बुधवार को कल्पसूत्र का वाचन विवेचन करते हुए उज्जैन के स्वाध्यायी भाई मनीष कोचर, अरिहंत जैन व आदित्य

जैन ने परमात्मा पूजा, वंदना व स्तुति के बारे में बताया।
स्वाध्यायी मनीष कोचर ने बताया कि कल्पसूत्र जीवन जीने की कला सिखाता है। जैन धर्मग्रंथ साक्षात कल्पवृक्ष के समान है। इसमें वीर चरित्र के बीज है, पार्श्वचरित्र अंकुर, नेम चरित्र स्कंध,ऋषभ चरित्र शाखाएं है। स्थाविरावली पुष्प, समाचारी सुहास और मोक्ष प्राप्ति फल है। स्वाध्यायी भाइयों ने स्नात्र पूजा करवाई तथा भगवान महावीर के जीवन आदर्शों से श्रावक-श्राविकाओं को अवगत करवाया।

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