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बीकानेर,मां कालका नगरी कालू में युगप्रधान आचार्य महाश्रमण ने युगप्रधान समवशरण में धर्म सभा में अमृत देशना करते हुए कहा की आर्हत वांग्मय में कहा गया है हमारा मन निर्वेर भाव से विभूषित रहे किसी भी प्राणी के साथ वैर नही हों ये जीवन के आत्मोथन के लिए अच्छा हो सकता है ।क्षमा उत्तम दान हैं आक्रोश में आकर भी ऐसा नही बोलना की कर्म का बंधन हो । जीवन व्यवहार में कभी कटुता एवं वाणी में कटुता से चित्त में मलिनता उत्पन्न होती है ।इसके लिए क्षमा याचना का प्रयोग उत्तम है ।

साध्वी प्रमुखा विश्रुत विभा ने कहा धर्म दर्शन के शब्द कोष में दो शब्द ऐसे हैं गुरु और परमात्मा
(गोविंद) के मध्य गुरु को सर्वोत्कृष्ट बताया गया गुरु परमात्मा तक जाने का मार्ग बताते हैं । संयोजन दिनेश मुनि ने किया । ये जानकारी मीडिया प्रभारी श्रेयांस बैद ने दी । इस दौरान जैन जैनेतर धर्मावलम्बी हजारों की संख्या में दर्शनार्थ व प्रवचन सुनने पहुंचे ।

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