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बीकानेर,जयपुर,एक तरफ पूरा देश जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमले से आक्रोशित है तो वही दूसरी तरफ राजस्थान सरकार है जो प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को ठप करने पर उतारू हो गई है, जहां जनवरी माह में ही 459 सरकारी हिंदी माध्यम स्कूलों को मर्ज कर दिया गया और 159 स्कूलों का अस्तित्व खत्म कर दिया गया वही अब राज्य सरकार ने जनवरी माह में गठित महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की समिति की बुधवार को हुई बैठक में राज्य के 850 से अधिक स्कूलों को मर्ज करने की योजना को अमलीजामा पहनाया गया और हालवा दिया जा रहा है कि इन स्कूलों में नामांकन बेहद कम है इसलिए स्कूलों को पुनः हिंदी माध्यम में कनवर्ट किया जाएगा। समीक्षा समिति के इस निर्णय/प्रस्ताव पर संयुक्त अभिभावक संघ ने ना केवल विरोध दर्ज करवाया है बल्कि तंग कसते हुए कहा है कि ” राज्य सरकार राजस्थान से सरकारी शिक्षा व्यवस्था को ठप कर निजी शिक्षा माफियाओं को सौंपने पर उतारू हो गई है, अगर सरकारी स्कूलों में नामांकन नहीं है या बढ़ नहीं रहे है तो यह राज्य सरकार और शिक्षा विभाग का सबसे बड़ा फेलियर है क्योंकि जिन सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए व्यवस्थाएं की जानी चाहिए थी वह न कर राज्य सरकर स्कूलों की संख्या ही घटा रही है जनवरी माह में भी हिंदी माध्यम स्कूलों को नामांकन कम का हवाला देकर मर्ज कर दिया गया और उसमें से 159 स्कूलों का अस्तित्व खत्म कर दिया गया, अब 850 से अधिक स्कूलों पर तलवार चलाई जा रही है जिसमें संभवतया 200 से अधिक स्कूलों का अस्तित्व खत्म कर दिया जाएगा।

संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि राज्य सरकार ने अभिभावकों और विद्यार्थियों के भविष्य पर उस समय तीर मारा जब पूरा देश आतंकी हमले से आक्रोशित था, जहां देशभर के नागरिक हमले में मारे गए बेगुनाह नागरिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए सड़कों पर उतरे हुए थे वहीं राज्य सरकार *”आपदा में अवसर”* का फायदा उठा बच्चों से उनकी शिक्षा का अधिकार छीनने की योजना को अमलीजामा पहना रही थी। जिससे प्रतीत होता है कि राज्य सरकार ना देश के प्रति गंभीरता गंभीरता रख रही है और ना ही जरूरतमंद अभिभावकों व विद्यार्थियों के प्रति गंभीरता रख रही है। अगर सरकारी स्कूलों में लगातार नामांकन कम हो रहे है तो शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निलंबित किया जाना चाहिए ना कि बच्चों से उनकी शिक्षा छीननी चाहिए। शिक्षा मंत्री ने आजतक किसी भी निजी स्कूल की मनमानी पर अपनी मुंह पर लगा ताला कभी नहीं खोला, किंतु सरकारी स्कूलों को बंद करने की योजना पर हर बार बेबुनियादी ताला खोलकर रखा। आज अगर प्रदेश के सरकारी स्कूलों की दुर्दशा को चिन्हित किया जाए तो राज्य सरकार को शर्मशार होना चाहिए किंतु अभिभावकों पर इसका भी दोष थोप दिया जाता है।

अभिषेक जैन ने राज्य सरकार से मंशा स्पष्ट करने की मांग करने के साथ साथ यह भी कहा कि सरकारी स्कूलों में अगर नामांकन बढ़ाने है तो सरकारी स्कूलों की सर्व प्रथम ठीक किया जाए, समुचित शिक्षक लगाए जाए, भवनों का नवनिर्माण करवाया जाए, विद्यार्थियों के लिए बैठने के लिए टेबल – कुर्सी, स्वच्छ पानी, साफ शौचालयों की व्यवस्था की जाए। व्यवस्थाओं को बढ़ाने से नामांकन बढ़ेंगे, स्कूलों को मर्ज कर या अस्तित्व मिटाने से सरकारी स्कूलों में नामांकन नहीं बढ़ेंगे।

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