बीकानेर,श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ सभा, तेरापंथ युवा परिषद और तेरापंथ महिला मंडल द्वारा सोमवार को तेरापंथ भवन गंगाशहर में वरिष्ठ नागरिकों के लिए चित्त समाधि शिविर का आयोजन किया गया।शिविर में दो सौ से अधिक वरिष्ठ नागरिकों ने वृद्धावस्था को सुखी बनाने का सूत्र सीखा।
मुनि शांतिकुमार, मुनि जितेंद्र कुमार के मार्गदर्शन में आयोजित एक दिवसीय चित्त समाधि शिविर में 55 वर्ष से अधिक आयु के 200 से अधिक वरिष्ठ नागरिकों को विशेष रूप से संबोधित किया गया और जीवन की शाम को सुखद बनाने के टिप्स दिए गए। मुनि शांति कुमार जी ने कहा- एक मुकाम पर पहुंचकर मन में संयम की भावना जगानी चाहिए। यदि हम चित्त समाधि में रहना चाहते हैं, तो हमें छोटी-छोटी चीजों को स्वीकार करने की आदत डाल लेनी चाहिए। जहां एक दूसरे के प्रति सहनशीलता की भावना हो, वहां आपसी मन की समाधि हो सकती है।
मुनि जितेंद्र कुमार ने कहा- 55 साल की उम्र में आकर अध्यात्म की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। जितना हो सके समय का सदुपयोग करें। यह युग अनुभवों का भंडार है, उन अनुभवों को दूसरों के साथ साझा करना सीखें। यदि चिंतन उचित और आध्यात्मिक हो तो चित्त समाधि प्राप्त की जा सकती है। मुनि सिस्ता कुमार ने इस विषय पर बयान दिया कि बुढ़ापा अभिशाप नहीं वरदान है। मुनि अनिकांत कुमारजी ने गीत गाया। मुख्य वक्ता एस.पी. श्यामसुखा ने तपस्या, सहनशीलता, सकारात्मक सोच और आध्यात्मिक जीवन जीने की प्रेरणा दी। स्वागत भाषण तेरापंथ सभा के अध्यक्ष अमरचंद सोनी ने दिया। इसकी अध्यक्ष ममता रांका ने विषय की जानकारी दी। टीईयूपी अध्यक्ष अरुण नाहटा ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। रतनलाल छल्लानी द्वारा रचित।