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बीकानेर,जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरिश्वरजी के सान्निध्य में रविवार को सुबह नौ बजे ढढ्ढा चौक के प्रवचन पांडाल में व्यस्क श्रावक-श्राविकाओं के लिए तथा रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में बच्चों की खातिर महावीर कॉलेज फॉर बेसिक नॉलेज शिविर आयोजित किया जाएगा। श्री 45 आगम तप में शनिवार को 21 वें आगम ’’श्री पुष्पिका सूत्र की आराधना एकासना के साथ की गई। कन्हैयालाल भुगड़ी व सूरत की बबीता संजय शाह बोथरा के मासखमण की तपस्या की अनुमोदना की गई।
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट व श्री जिनेश्वर युवक परिषद के तत्वावधान में सकलश्री संघ के सहयोग से आयोजित चातुर्मास के दौरान अट्ठ तप करने वाली श्राविकाओं का अभिनंदन सामयिक मंडल की संतोष देवी-कंवर लाल नाहटा ने किया। तपस्वियों में रोनक बरड़िया, राखी सुखानी, बबीता नाहटा, संतोष नाहटा, छतीसगढ़ के महेन्द्र कुमार चोपड़ा, हेमलता नाहटा, सुनील बोथरा व नित्या मुसरफ शामिल थीं। अट्ठम तप अर्थात आठ समय आहार का त्याग। अट्ठम तप में प्रथम दिन एकासना व्रत करके तीन दिन तक समस्त आहार त्याग कर पांचवें दिन एक समय आहार ग्रहण किया जाता है। इस प्रकार कुल आठ समय आहार का त्याग किया जाता है।
साधर्मिक भक्ति दिवस आज
धर्मचर्चा में आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी ने कहा कि जैन धर्म में रक्षा बंधन पर्व दिन रविवार को साधार्मिक के प्रति त्याग, श्रद्धा व सहयोग के रूप में साधार्मिक भक्ति दिवस के रूप् में मनाएं। साधार्मिक को संकट, समस्या के समय सहयोग की वचन बद्धता करें। दीन हीन व समस्याओं के कारण कोई साधार्मिक बंधु जिन शासन को नहीं छोड़ें। साधर्मिक बंधुओं से ही जिन शासन की शोभा व जैन धर्म की प्रभावना होती है। जैन आगमों के बताया गया है कि दान,शील,तप से अधिक साधर्मिक भक्ति का पुण्य मिलता है। आचार्यश्री उपदेश का विस्तृत वर्णन करते हुए मुनि सम्यक रत्न सागर ने कहा कि हमें आपसी राग बांधने का कोई पर्व नहीं मनाना चाहिए। जैन धर्म राग, द्वेष के झंझाल से मुक्ति का संदेश देता है। आर्य व जैन धर्म व संस्कृति में काम,स्नेह व दृष्टि राग से बचते हुए मर्यादा मय जीवन का संदेश दिया गया है। लोग कई पर्व मिथ्या आधार व परम्परानुसार बिना उसके लौकिक व आध्यात्मिक ज्ञान के बिना मना रहे है, जो सर्वथा गलत है। जैन धर्म में पर्व उसी को कहा गया है जो आत्मा को पवित्र करें। शनिवार को संघ पूजा का लाभ बंसीलाल, धनराज व अंकित गुलगुलिया परिवार ने लिया।
श्री चिंतामणि जी जैन मंदिर शुद्धिकरण
आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सानिध्य में शनिवार को भुजिया बाजार के प्राचीन भगवान चिंतामणि जी के मंदिर में जिनालय शुद्धिकरण अभियान के तहत अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने पूजा के वस्त्रों में श्रमदान कर मंदिर की प्रतिमाओं के शुद्धिकरण के साथ मंदिर में स्वच्छता की सेवाएं दी। रविवार को सुबह छह बजे से जिनालय शुद्धिकरण अभियान मुनिवृंद के आचार्यश्री व सानिध्य में आयोजित किया जाएगा।

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