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बीकानेर,राजस्थान में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसको लेकर बीजेपी और कांग्रस दोनों ही दलों के नेता जनता की नब्ज टटोलने में लगे हैं. राजनीतिक मंचों के इतर सूबे में चुनावी साल को देखते हुए सामाजिक और जातिगत लामबंदी भी तेज हो रही है जिस कड़ी में राजधानी जयपुर में 5 मार्च को जाट महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है जहां जाट समुदाय के लोग एक मंच पर जुटेंगे और चुनावों से पहले संख्याबल के हिसाब से सरकार को सीधा संदेश देने की कोशिश करेंगे.

महाकुंभ की मुख्य मांग राजस्थान में जातिगत जनगणना करवाना और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) को उनकी संख्या के हिसाब से आरक्षण देना है. जाट महाकुंभ को लेकर पिछले कई दिनों से तैयारियां चल रही है जहां समाज के लोग राजनीतिक दलों और समाज से जुड़े लोगों को एक मंच पर लाने की कवायद में जुटे हैं.

मालूम हो कि राज्य में पिछले कई दिनों से ओबीसी आरक्षण का मुद्दा गरम है और जाट महाकुंभ में भी इस मुद्दे को हवा दी जाएगी. माना जा रहा है कि जातिगत जनगणना और संख्या के हिसाब से भागीदारी देने का मुद्दा चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकता है.

इधर गहलोत सरकार ने जाट समुदाय को साधने की दिशा में महाकुंभ के आयोजन से ठीक 2 दिन पहले ही वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड का गठन कर दिया है जिसकी मांग पिछले काफी महीनों से की जा रही थी. वहीं महाकुंभ आयोजन में अब बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेता आने की उम्मीद जताई जा रही है क्योंकि चुनावी साल में कोई समाज को नाराज नहीं करना चाहता है.

देशभर के जाट नेता लेंगे हिस्सा

जानकारी के मुताबिक 5 मार्च को जयपुर में राजस्थान जाट महासभा एवं जाट संगठनों की ओर से जाट महाकुंभ का आयोजन होगा जिसमें राजस्थान के अलावा देशभर के जाट शामिल होंगे. जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में इसका आयोजन रखा गया है.

बताया जा रहा है कि इस महाकुंभ में देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, रालोपा राष्ट्रीय अध्यक्ष नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल, विजय पूनिया, पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी, कैबिनेट मंत्री लालचंद कटारिया, राजस्थान यूनिवर्सिटी छात्रसंघ अध्यक्ष निर्मल चौधरी सहित कई राज्यों से जाट नेता पहुंचेंगे.

जातिगत जनगणना के मुद्दे को मिलेगी हवा

बता दें कि महाकुंभ के दौरान जातिगत जनगणना का मुद्दा राज्य के चुनावी साल में तूल पकड़ सकता है जिसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों की असमंजस में रहती हैं. फिलहाल देश में जातिगत जनगणना का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना शुरू करवा दी है. मालूम हो हि जातिगत जनगणना करवाने से राजस्थान की आबादी में सीधे तौर पर 50 प्रतिशत लोग प्रभावित होंगे ऐसे में चुनावी साल में ऐसा जोखिम लेने से सरकार बचना चाहती है.

वहीं इस मुद्दे पर राजस्थान जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील कहते हैं कि जातिगत जनगणना सरकार को करवाने का फैसला करना ही चाहिए और बिना जातिगत जनगणना के किसी जाति के कितने लोग हैं, उन्हें कितना प्रतिनिधित्व और कितना संरक्षण मिलना चाहिए यह पता नहीं चल सकता है. मील ने कहा कि न्यायसंगत आरक्षण और प्रतिनिधित्व तभी मिलेगा जब जाति की संख्या पता चलेगी.

दरअसल जातिगत जनगणना की मांग पिछले कुछ समय से तेज हुई है हालांकि ओबीसी में सर्वाधिक जातियां आती हैं ऐसे में राजस्थान में भी करीब ओबीसी समुदाय 50-55 प्रतिशत है जो कि एक बड़ा वोटबैंक है. इसके अलावा राजस्थान में 200 में से करीब 60 विधायक ओबीसी समुदाय से आते हैं और 25 में से 11 सांसद भी ओबीसी समुदाय से हैं.

आंकड़ों को देखें तो राजस्थान की आबादी करीब 8 करोड़ है जहां 4 करोड़ ओबीसी समुदाय की संख्या है जिसमें मुख्य रूप से जाट, माली, कुमावत, यादव सहित 50 से अधिक जातियां आती हैं.

OBC आरक्षण का मुद्दा जोर पकड़ेगा

वहीं महाकुंभ के जरिए राज्य में वर्तमान में राजस्थान में ओबीसी को सरकारी नौकरियों में दिया जाने वाला 21 प्रतिशत आरक्षण बढ़ाकर 27 प्रतिशत किए जाने की मांग की जा रही है. राजाराम मील ने हाल में मीडिया से कहा कि न्यायसंगत आरक्षण और प्रतिनिधित्व तभी संभव है होगा जब जातिगत जनगणना करवाई जाए और संख्या के हिसाब से ओबीसी का आरक्षण कम से कम 27 प्रतिशत किया जाना चाहिए.

इसके अलावा राजस्थान में बायतु (बाड़मेर) से कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ओबीसी से जुड़े मसले पर लगातार बोलते रहे हैं और ओबीसी आरक्षण को लेकर वह अपनी ही सरकार के खिलाफ जयपुर में धरना भी दे चुके हैं. हाल में उन्होंने विधानसभा में भी कहा था कि प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया जाए.

वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड का हुआ गठन

इधर महाकुंभ से 2 दिन पहले गहलोत सरकार ने वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड का गठन कर दिया. सरकार के आदेश के मुताबिक किसान समाज की स्थिति का जायजा लेने और प्रमाणिक सर्वे करवाने के बाद इन वर्गों से आने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाएं देने और पिछड़ापन दूर करने के लिए राजस्थान राज्य वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड का गठन किया जाता है. बता दें कि इस बोर्ड में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित कुल 9 सदस्य होंगे जिनका चयन बोर्ड के नियमों के आधार पर किया जाएगा.

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