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बीकानेर, दादा गुरुदेव की पट््धर परम्परा के गच्छाधिपति जैनाचार्य जिनचन्द्र सूरिश्वरजी (श्रीपूज्यजी) के सान्निध्य में यतिश्री अमृत सुन्दर म.सा. के रांगड़ी चौक के बड़े उपासरे में शनिवार को जैन धर्म के प्रमुख धार्मिक आगम ’’कल्पसूत्र’ का वाचन किया। शाम को भक्ति संगीत संध्या हुई जिसमें कलाकारों ने देव, धर्म व गुरु की भक्ति के भजन पेश किए। श्रावक-श्राविकाओं ने मौन रहकर सत्य साधना की।
रविवार को सुबह नौ बजे बड़े उपासरे संयम, शिक्षा, साधना व सेवा की प्रतिमूर्ति श्रीपूज्य श्रीजिनचन्द्र सूरि म.सा. आगामी गच्छाधिपति की घोषणा एवं यति, यतिनियों की दीक्षा मुर्हूत प्रदान करेंगे। अहिंसा परमोधर्म का संदेश देने वाले भगवान महावीर के जन्म का वांचन किया जाएगा। गच्छाधिपति, जैनाचार्य जिनचन्द्र सूरिश्वरजी के पाटोत्सव के कार्यक्रम वर्षभर चलेंगे।
यति अमृत सुन्दरजी ने कल्पसूत्र का वांचन करते हुए भगवान के पूर्व भव, परमात्मा की नयसार से तीर्थंकर पद के आलौकिक जीवन, स्वप्न शास्त्र के अनुसार भगवान महावीर की माता त्रिशला देवी को दिखाई दिए 14 स्वप्न, उसके फल के बारे में बताया। मुमुक्षु अंजलि राखेचा, मुमुक्षु विकास चौपड़ा ने कहा कि पर्युषण पर्व में मौन, देव, गुरु की भक्ति,सत्य साधना-आराधना करें। भक्ति संगीत कार्यक्रम में पीन्टू स्वामी, महेन्द्र कोचर व करण सुखानी ने प्रस्तुतियां दी।

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