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जयपुर,धर्म नगरी छोटी काशी के नाम से विख्यात राजधानी जयपुर में मंगलवार को जैन धर्म का रोठ तीज का पावन पर्व श्रद्धाभक्ति के साथ मनाया गया। इस दौरान जैन श्रद्धालुओं ने प्रातः 6.15 बजे से श्रीजी के कलशाभिषेक एवं शांतिधारा कर नित्य नियम पूजन कर रोठ तीज की अष्ट द्रव्यों से पूजन आराधना की, जिसके पश्चात महिलाओं ने घरों पर मोटे आटे और देशी घी में बने रोठ और दूध, मांवों और बुरा से बनी खीर व तोरई की सब्जी को चूल्हों व सिकड़ी पर तैयार कर मंदिर में लेकर आये और श्रीजी को समर्पित किये। यह पर्व विशेष रूप से महिलाएं मानती है और इस दिन व्रत रखती है। इस व्रत की अवधि तीन वर्ष, 12 वर्ष और 24 वर्ष की होती है।

अखिल भारतीय दिगम्बर जैन युवा एकता संघ अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने जानकारी देते हुए बताया कि जैन धर्म मे रोठ तीज का अपना एक महत्व है। क्योंकि एक समय विमलाचल पर्वत पर श्री वर्धमान स्वामी समवसरण सहित पधारे थे, तब राजा श्रेणिक ने हाथ जोड़कर नमस्कार किया और प्रार्थना करते हुए रोट तीज का व्रत कैसे करना चाहिए और किसने किसको लाभ हुआ और यह व्रत कैसे और किस विधि से किया जाता का प्रश्न किया, तब वर्धमान स्वामी ने राजा श्रेणिक को इस व्रत की महिमा बताते हुए कहा कि रोट तीज का व्रत मोक्ष महल की सीढ़ी होने के साथ-साथ शाश्वत लक्ष्य की कुंजी है। जो भी श्रावक श्रद्धा-भाव के साथ रोठ तीज का पर्व मानता है इससे उनके सभी कष्ट दूर हो चले जाते हैं।

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