बीकानेर,सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के उपनिदेशक हरिशंकर आचार्य के तबादले ने बीकानेर के राजनीतिक माहौल में आग लगा दी है। गुरूवार को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग राजस्थान द्वारा जारी तबादला सूची में हरिशंकर आचार्य का नाम था, उनका तबादला बाड़मेर किया गया है। कांग्रेस कार्यकर्ता वार्ड नंबर 47 निवासी आर के उपाध्याय ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी, राज्य निर्वाचन आयोग को एक शिकायत दी थी। शिकायत में लिखा कि आचार्य विधानसभा चुनाव में वर्तमान सरकार के एक व्यक्ति लोकेश शर्मा के पक्ष में लगातार प्रचार कर रहे हैं। आरोप लगाया कि इनके द्वारा जानबूझकर डॉ बीडी कल्ला के विरुद्ध प्रचार प्रसार किया जा रहा है।इसके बाद आई तबादला सूची में आचार्य का नाम आ गया। इस तबादले को बदले की राजनीति बताया जा रहा है। दूसरे दृष्टिकोण से यह बदला आचार्य से नहीं बल्कि सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा से बताया जा रहा है। तो कहीं कहीं इसे आचार्य वाया शर्मा सीधे मुख्यमंत्री से भी जोड़ा जा रहा है। उसकी वजह लोकेश शर्मा की दावेदारी को मुख्यमंत्री की सहमति माना जाना है।
दरअसल, लोकेश शर्मा आगामी विधानसभा चुनाव में बीकानेर पश्चिम विधानसभा से टिकट की दावेदारी जता रहे हैं। वह हर माह कई बार बीकानेर आकर प्रचार कर रहे हैं। ऐसे में कल्ला के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई है। अगर शर्मा को पश्चिम से टिकट मिलता है तो कल्ला की बीकानेर पश्चिम से टिकट कटने की शर्त पर ही मिलेगा। ऐसे में कल्ला पर राजनीतिक संकट गहराया हुआ है। ऐसा माना जा रहा है कि लोकेश शर्मा की इस दावेदारी के पीछे मुख्यमंत्री की हरी झंडी है। अब सवाल यह है कि बीकानेर से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने जा रहे लोकेश शर्मा अपनी प्रतिष्ठा बचा पाएंगे या नहीं! अब बात महज एक उपनिदेशक के तबादले की नहीं है बल्कि कर्तव्यनिष्ठ सरकारी कर्मचारियों के मान सम्मान की है। अगर आचार्य का तबादला निरस्त नहीं होता है तो कहीं ना कहीं लोकेश शर्मा के राजनीतिक करियर पर असर होगा, क्यूंकि ओएसडी शर्मा एक आम दावेदार नहीं बल्कि मुख्यमंत्री के सशक्त प्रतिनिधि है।