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बीकानेर,इन्वेस्टमेंट समिट का आगाज भी हो गया। उम्मीद है कि समिट अच्छा रहेगा, पर जिस तरीके से शुरुआत में नौकरशाही हावी दिखी अगर वह पूरे समिट में इसी तरह से रही तो परिणाम दूसरे ही आएंगे। इन्वेस्टमेंट समिट में खुद मुख्यमंत्री का कार्ड में नाम नहीं होना बेहद आश्चर्यजनक है। मुख्यमंत्री के सलाहकार दानिश अबरार’ ने जो मामला उठाया वो बिल्कुल ठीक है, मुख्यमंत्री व एक जनप्रतिनिधि को इस तरह से नजरअंदाज करके जो इन्वेस्टमेंट समिट किया जाएगा, क्या वह समिट सफल हो सकता है?

नौकरशाह भी अपनी जगह को पहचानें, वे जनप्रतिनिधियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। अगर जनप्रतिनिधि को नजरअंदाज कर दिया गया तो निश्चित रूप से ऐसे हालत में निवेश नहीं आएगा। बिना मुख्यमंत्री व जनप्रतिनिधि के नाम के जो कार्ड छपे, उसके लिए जिम्मेदार और दोषी कौन है? किसकी जिम्मेदारी है, यह चिह्नित होना चाहिए। आज आवश्यकता है कि नौकरशाह अपनी चाल बदलें, तभी ‘जनता व निवेशकों में विश्वास बहाल होगा। राज्य में निवेश बढ़े इसके लिए यह भी जरूरी है कि निवेशकों के हितों का ध्यान रखा जाए, उनको पूरी सुविधाएं दी जाएं, वे लालफीताशाही का शिकार न हों और ‘सिंगल विंडो सिस्टम’ असल में काम करे। सारी चीजों का हल हो, इसके लिए नौकरशाहों को कमर कसनी होगी। उन्हें यह ध्यान रहे कि लोक कल्याणकारी राज्य में उनकी क्या भूमिका है? वे ‘सेलब्रिटी सिन्ड्रोम’ से बाहर निकल कर शासन व जनता के प्रति जवाबदेह बनें, तभी जाकर प्रदेश में निवेश का अच्छा माहौल बनेगा। उम्मीद है शुरुआती टकराहट के बाद हालात बदलेंगे और राजस्थान निवेशकों को रिझाने में कामयाब होगा। आज जरूरत है आपस में समन्वय की। राजस्थान एक शांत प्रदेश है, हमें इस पर गर्व है। इसके लिए अति आवश्यक है कि हम लालफीताशाही वाले रवैये को त्यागकर निवेशकों के लिए पलक-पांवड़े बिछाएं। ध्यान रहे कि किसी भी राज्य या देश की स्थिति निवेशक ही बदलते हैं। निवेश वहीं होता है जहां विकास की संभावनाएं होती हैं। कोई यों ही अपना पैसा नहीं लगाता है। उसे हम पर विश्वास होना चाहिए कि उसकी लगाई हुई हर पाई सुरक्षित है तभी निवेशक राजस्थान की धरा से जुड़ेंगे। उन्हें जोड़ने की जिम्मेदारी हम सबकी है। इसके लिए उन्हें बेहतर माहौल देने का प्रयास करना चाहिए। सियासत हावी नहीं होनी चाहिए।

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