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बीकानेर,जयपुर,ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा है कि प्रदेश में केन्द्र सरकार की ओर से कोयले की आपूर्ति में कमी के कारण थर्मल पावर उत्पादन संयत्रों के जरिए बिजली उत्पादन में आई कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा केन्द्रीय ऊर्जा एवं कोल मंत्रालय से सतत समन्वय किया जा रहा है। डॉ. कल्ला ने बताया कि वास्तविकता में यह देखा जाए तो प्रदेश के थर्मल पॉवर प्लांट्स में विद्युत उत्पादन में गिरावट बिजली का नहीं बल्कि कोयले का संकट है, जो केन्द्र सरकार के स्तर पर कोयले की आपूर्ति में कमी के कारण उत्पन्न हुआ है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोल इंडिया की कंपनियों का राज्य सरकार में कोई बकाया नहीं है, कोयले की सप्लाई की एवज में प्रदेश द्वारा समयबद्ध भुगतान किया जा रहा है।

ऊर्जा मंत्री डॉ. कल्ला ने अपने बयान में कहा कि भारत सरकार द्वारा कोयले का राष्ट्रीयकरण किया हुआ है। ऐसे में केन्द्र सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह राज्यों को एग्रीमेंट और मांग के अनुरूप कोयले की सप्लाई समय पर करे, लेकिन कोल इंडिया लिमिटेड की कम्पनियों द्वारा पिछले कई दिनों से अनुबंध में प्रतिदिन के लिए निर्धारित रैक के अनुसार कोयले की दैनिक आपूर्ति नहीं किए जाने के कारण न केवल राजस्थान में बल्कि देश के कई अन्य राज्यों के थर्मल पावर जनरेशन प्लांट्स में विद्युत उत्पादन पर विपरीत असर पड़ा है। एक तरह से थर्मल पावर जनरेशन प्लांट्स के लिए कोयले की कमी राष्ट्रीय संकट बन गया है। उन्होंने बताया कि कोल इंडिया लि. ने ‘इम्पोर्ट सब्स्टीट्यूशन मैकेनिज्म’ के तहत भी काफी मात्रा में कोयला दिया है जिसके चलते जिन विद्युतगृहों का अनुबंध कोल इंडिया द्वारा कोयला आपूर्ति का था उसमें कमी हुई है। यह भी राजस्थान सहित देश के अन्य राज्यों के थर्मल पावर प्लांटों में कोयले की कमी का मुख्य कारण है।

*डॉ. कल्ला ने बताया कि कोल इंडिया की दो कंपनियों एनसीएल तथा एसईसीएल के साथ राजस्थान का प्रतिदिन 11.5 रैक कोयले की आपूर्ति का एग्रीमेंट है, मगर खदानों में वर्षा का पानी भर जाने के कारण पिछले काफी समय से राजस्थान को यहां के थर्मल प्लांट्स की दैनिक मांग की तुलना में औसतन 5.38 रैक प्रतिदिन (1 अक्टूबर से 13 अक्टूबर) की ही आपूर्ति की जा रही है, ऐसे में हमारी थर्मल इकाईयों के लिए स्टॉक किस प्रकार रखा जा सकता है, जब दैनिक मांग की ही पूर्ति आपूर्ति कोल इंडिया की इन दो कंपनियों द्वारा नहीं की जा रही हो। राज्य को एग्रीमेंट के अनुसार कोयले की रैक की आपूर्ति कोयला मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कर दी जाएगी तो यह संकट समाप्त हो जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश को कोल इंडिया की दोनों कंपनियों से 11 रैक प्रतिदिन की एवज में 1 व 2 अक्टूबर को 4-4 रैक, 3 अक्टूबर को 5, 4 अक्टूबर को 6, 5 अक्टूबर को 4, 6 अक्टूबर को 7, 7 अक्टूबर को 6, 8 से 10 अक्टूबर को 5-5, 11 अक्टूबर को 6, 12 अक्टूबर को 7 तथा 13 अक्टूबर को केवल मात्र 6 रैक कोयला इन दोनों कंपनियों के माध्यम से राज्य को मिल पाया।*

डॉ. कल्ला ने बताया कि कोल इंडिया की कम्पनियों का राज्य सरकार में भुगतान बकाया है, ऐसी भ्रामक बातों को प्रचारित किया जा रहा है, पर वास्तविकता में नेशनल कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) का कोई पैसा बकाया नहीं है, इस कम्पनी को सितम्बर 2021 से अग्रिम भुगतान भी प्रदेश की ओर से प्रारम्भ किया जा चुका है। वहीं दूसरी कम्पनी एसईसीएल ने 11 अक्टूबर 2021 को हमें अवगत कराया है कि राजस्थान का 9 अक्टूबर 2021 को 252.61 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है। इसके विपरीत यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015-16 के कोयले की गुणवत्ता में कमी का 459 करोड़ रुपये का भुगतान एसईसीएल को करना है जो कि दिसम्बर 2018 से वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र (एडीआरएम) के निपटारे के तहत बाकी चल रहा है। फिर भी एसईसीएल की ओर से भुगतान या अग्रिम भुगतान के बारे में कहा जाएगा उस पर समयबद्ध कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने बताया कि एनसीएल एवं एसईसीएल द्वारा पिछले दिनों में जो कम आपूर्ति की गई है, उसके मासिक बैकलॉग के आधार पर बकाया रैक उपलब्ध कराई जाती है तो प्रदेश की थर्मल यूनिट्स में कोयले का स्टॉक रखा जा सकता है।

ऊर्जा मंत्री ने बताया कि कोल इंडिया लिमिटेड की ओर से तय एग्रीमेंट के अनुरूप राज्य को कोयला आपूर्ति नहीं किए जाने के कारण प्रदेश सरकार द्वारा राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के कोल ब्लॉक परसा ईस्ट एवं कांता बेसिन से कोयले की अतिरिक्त रैक लेने की कार्यवाही की जा रही है। इसके लिए राज्य के अधिकारी रात-दिन मेहनत के साथ कार्य कर रहे हैं। इसी कारण 11 अक्टूबर को 10 रैक, 12 अक्टूबर को 12 रैक तथा 13 अक्टूबर को 11 रैक कोयला की प्रदेश की थर्मल यूनिट्स के लिए आपूर्ति की गई है। उन्होंने बताया कि छतीसगढ़ में राजस्थान को आवंटित एक अन्य कोल ब्लॉक से भी नियमित तौर पर कोयला प्राप्त करने की दिशा में भी प्रयास जारी है। इस ब्लॉक से कोयला प्राप्त करने के लिए ‘बायोडायवर्सिटी क्लीयरेंस’ की आवश्यकता है, जिसके लिए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने भारत सरकार और केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय को कई पत्र लिखे हैं। इसके अलावा छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा गया है। राज्य की ओर से इस ब्लॉक का ‘बायोडायवर्सिटी क्लीयरेंस’ लेने के लिए लगातार फॉलोअप किया जा रहा है।
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