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बीकानेर,खाजूवाला, श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ मंगलवार को हुआ। महिलाओं ने कलश यात्रा में भाग लिया। दोपहर में कथा का वाचन शुरू हुआ, कथा लगभग 5 घंटे तक चली।
वृंदावन के गुरु जी ललित किशोर व्यास ने कथा में फरमाया कि कथा में मन नहीं लगता जबकि मन लगाना पड़ता है, ये कलयुग का प्रभाव है। जगह का विशेष प्रभाव पड़ता है जैसे हरिद्वार में गए तो हर हर गंगे, वृंदावन में गए तो राधे राधे और अयोध्या में गए तो जय श्री राम, सालासर गए तो जय बाला जी।
मोह माया में जायदा नहीं उलझना चाहिए। मोह माया में रहते हुए भी बहुत से लोग भगवान का नाम जपते रहते हैं। सत्संग या कथा में आने वाले को कुछ ना कुछ जरूर मिलता है। जहां संसार का धन काम नही करता, वहा राम का नाम ही रामधन है, यही काम करता है। जीवन में रामधन की प्राप्ति करना जरूरी है। जीवन में सत्संग का बहुत बड़ा महत्व होता है। जीवन में पुण्य रूपी धन भी कमाना जरूरी है, जो कब काम कर जाए, ये आप को पता ही नहीं चलेगा। जब जन्म जमांतरण के पुण्य एकत्रित होते हैं तो भागवत कथा सुनने का अवसर मिलता है। भागवत कथा को सुनने के लिए देवता भी तरसते है जबकि इंसान को ये आसानी से मिलती है, इसलिए जहां कहीं भी भागवत कथा हो रही हो, जरूर से जरूर सुनना चाहिए। पृथ्वी पर सबसे पहले भागवत कथा सुनने का अवसर नारद जी को प्राप्त हुए था। पृथ्वी पर सबसे पहले भागवत कथा का वाचन गुरुजी सुखदेव जी महाराज ने किया था। नारद जी का कहना है कि ग्रस्त जीवन में महत्व एवं सेवा भावना दोनों होनी चाहिए जबकि वास्तव में अधिकतर घरों में परिवारों में अनबन रहती है, ये कलयुग का ही प्रभाव है। राधे-राधे कहने की आदत पड़ गई है। इंसान को हर हाल में भगवान का नाम लेना चाहिए। भागवत पुराण कथा को सुनने से बूढ़ा आदमी भी जवान हो जाता है। जिस घर में अतिथि आता है उस घर को शुभ माना जाता है।

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