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बीकानेर,चूरू,गांव ख्याली निवासी फिल्म निर्माता निर्देशक राजेन्द्र सिंह शेखावत ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि अशोक गहलोत सरकार राजस्थानी सिनेमा के इतिहास में काला पन्ना साबित हुई थी। उसके बाद यहां भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर राजस्थानी सिनेमा के विकास की उम्मीदें जगी थी, परन्तु सवा साल में साफ हो गया है कि इस सरकार के भरोसे तो एक कदम भी नहीं चल सकेगा राजस्थानी सिनेमा। क्योंकि इस सरकार ने आज तक राजस्थानी सिनेमा के विकास हेतु कोई काम करना तो दूर की बात है, एक शब्द तक नहीं बोला है। ऐसे में लगता है कि यह सरकार राजस्थानी सिनेमा के लिए काली किताब बनकर रह जाएगी। मजे की बात यह है कि भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में राजस्थानी सिनेमा के उत्थान का कोई जिक्र नहीं किया गया था। चूरू में बीकानेर से चुनाव प्रभारी बनाकर भेजे गए भाजपा नेता सुरेन्द्र सिंह शेखावत से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब यह सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि राजस्थानी सिनेमा के विकास का मुद्दा घोषणा पत्र में जोड़ दिया जाएगा। चुनाव में गहलोत सरकार को उनके कर्मों की सजा मिल गई और यहां भाजपा की सरकार बन गई। सरकार बनने के बाद बजट पेश किया गया लेकिन बजट में भी राजस्थानी सिनेमा की कोई बात नहीं हुई। इससे इस सरकार की मंशा जाहिर हो चुकी है। कला एवं संस्कृति मंत्री दीया कुमारी जो कि वित्त मंत्री और उप मुख्यमंत्री भी हैं, शायद राजस्थानी सिनेमा के विकास की बात को पूरी तरह से भूल गई हैं। उन्हें चाहिए था कि कांग्रेस सरकार द्वारा वंचित रखी गई राजस्थानी फिल्मों को अनुदान राशि जारी करते और राजस्थानी सिनेमा के विकास की ठोस योजना बनाते। उनके द्वारा ऐसा कुछ भी नहीं किया गया जो राजस्थानी सिनेमा के लिए बड़े ही दुर्भाग्य की बात है। चूरू और झुंझुनूं जिले के प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत को भी दो बार प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ज्ञापन सौंपकर वंचित फिल्मों को अनुदान राशि जारी करवाने की मांग की गई। मुख्यमंत्री, कला एवं संस्कृति मंत्री आदि को पत्र लिखे गए।जयपुर सचिवालय में उनके कार्यालय में जाकर अर्जी दी गई, लेकिन किसी ने कोई जवाब देना तक उचित नहीं समझा। फिल्म निर्माता निर्देशक राजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी वंचितों को लाभान्वित करने की बात कह रहे हैं। यहां उनकी बात को भी कोई तवज्जो नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि अभी भी समय है, सरकार राजस्थानी फिल्मों को अनुदान देने के लिए शीघ्र ही समिति के सदस्य नियुक्त करके फिल्मों का प्रीव्यू करवाए और उन्हें अनुदान राशि जारी करे। ताकि फिल्म निर्माताओं को राहत मिल सके। अन्यथा तो आगामी चुनावों में इस सरकार की हालत अशोक गहलोत सरकार से भी ज्यादा खराब हो जाएगी। सवा साल से अधिक समय तो बीत गया है, इसी तरह 5 साल भी गुजर जाएंगे। उसके बाद अशोक गहलोत और डॉक्टर बीडी कल्ला की तरह इन्हें भी पश्चाताप करने का मौका नहीं मिलेगा। आज भाजपा के छोटे बड़े नेता राजस्थानी सिनेमा के विकास की बात पर चुप हैं। वे पार्टी के खिलाफ नहीं बोल सकते हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस वाले किस मुंह से आवाज उठाएं, उन्होंने खुद कुछ नहीं किया। यहां के वरिष्ठ फिल्म निर्माता भी संपर्क खराब होने के डर से मौन धारण करके बैठे हैं। इस प्रकार आज के दिन राजस्थानी सिनेमा एकदम से अधरझूल में है, इसका कोई धणी धोरी नहीं है। इस संबंध में राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर के पूर्व अध्यक्ष और हिन्दी व राजस्थानी के जाने माने साहित्यकार डॉ दुलाराम सहारण ने बिना किसी लाग लपेट के कहा है कि सरकारां भलांई कुणसी ई हुवै, नेता कुणसा ई, भासा, साहित्य, संस्कृति, सिनेमा सारू माजनौ लगैटगै एकजैड़ौ है। अभिनेत्री उषा श्री, फिल्म निर्माता निर्देशक जुगल के नायक आदि ने भी सरकार को चेताया है। अब देखना यह है कि राजस्थान सरकार राजस्थानी सिनेमा के लिए क्या करती है।