Trending Now




बीकानेर,दुनिया में ओमिक्रॉन वैरिएंट से आई लहर 1918 में आई फ्लू महामारी से काफी मिलती-जुलती है। एक सदी पहले भी लोग मास्क पहनकर घर से बाहर निकलते थे और आज एक सदी बाद भी यही देखने को मिल रहा है। अमेरिका की ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्चर क्रिस्टोफर मैकनाइट निकोल्स की मानें तो ओमिक्रॉन की तरह 1918 फ्लू ने भी युवाओं और सेहतमंद लोगों को सबसे पहले अपनी चपेट में लिया था।

1918 में भी लोगों ने दिखाई थी लापरवाही

द वॉशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित एक लेख में निकोल्स ने लिखा है कि फरवरी 1918 में आया फ्लू पहले विश्व युद्ध के कारण अमेरिका से पूरी दुनिया में फैल गया था। यह भी हवा से फैलने वाली बीमारी थी। इसके संक्रमण को दुनिया भर में फैलने में सिर्फ 6 महीने लगे थे। हालांकि ओमिक्रॉन की तरह इस फ्लू की मृत्यु दर भी कम थी।

फ्लू के कुछ लक्षण भी ओमिक्रॉन की तरह ही थे। इसमें लोगों को जुकाम और बुखार होता था। तब भी लोगों ने लापरवाही दिखाकर इसे 3 दिन तक रहने वाला बुखार समझ लिया था। निकोल्स की मानें तो अक्टूबर 1918 में इस फ्लू का एक खतरनाक वैरिएंट आ गया था, जिसने अमेरिका में एक महीने में 2 लाख लोगों की जान ली थी। 1919 आते-आते फ्लू के मामलों और मृत्यु दर में कमी आई थी। दुनिया भर में फ्लू महामारी से कुल मिलाकर 5 करोड़ लोगों की जान गई थी।

1918 फ्लू महामारी के वक्त भी बनी थी लॉकडाउन जैसी स्थिति

लोगों की लापरवाही की वजह से 1918 की फ्लू महामारी में भी सरकारों ने मूवी थिएटर, पूल और बाकी सार्वजनिक स्थानों को बंद कर दिया था। लोगों को घर के बाहर मास्क लगाना जरूरी हो गया था। मास्क न पहनने पर लोगों को जेल में डाल दिया जाता था। फ्लू से संक्रमित होने पर आइसोलेशन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना भी आम था।

एक सदी पहले वैज्ञानिकों ने की थी वैक्सीन बनाने की कोशिश, हो गए थे फेल

निकोल्स कहते हैं कि वैज्ञानिकों ने 1918 में फ्लू के लिए वैक्सीन बनाने की बहुत कोशिश की थी, पर उस समय उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई थी। इसलिए हमारे पास कोरोना के खिलाफ जो भी वैक्सीन्स और बूस्टर डोज उपलब्ध हैं, उनका इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है।

फ्लू की तरह कोरोना भी कभी खत्म नहीं होगा

निकोल्स का मानना है कि जिस तरह फ्लू वायरस आज भी वातावरण में मौजूद है, उसी तरह कोरोना वायरस भी कहीं जाने वाला नहीं है। एक समय बाद कोरोना भी फ्लू जैसे ही हमारे लिए एक नॉर्मल वायरस बन जाएगा।

Author