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बीकानेर,नागालैंड फर्जी आर्म्स लाइसेंस प्रकरण में नया मोड़ आ गया है। इसकी फाइल एसओजी ने मंगवा ली है। अब नया शहर पुलिस की जांच की परतें भी उधड़ेंगी।

नागालैंड से फर्जी आर्म्स लाइसेंस बनवाने के मामले बीकानेर, जयपुर, उदयपुर सहित कई जिलों में दर्ज हुए थे। वर्ष 2014 में इसका खुलासा हुआ था। वर्ष 2017 में बीकानेर में डेढ़ सौ से अधिक फर्जी लाइसेंस के जरिए हथियार खरीदने का मामला सामने आया हथियार खरीदने वाले ज्यादातर लोग रसूखदार थे, जिन्होंने दलालों के माध्यम से लाइसेंस बनवाए। खरीदारों में हिस्ट्रीशीटर भी शामिल थे। पुलिस ने करीब 50 लोगों को गिरफ्तार कर उससे हथियार जब्त किए थे। पुलिस का दबाव बना तो ज्यादातर ने हथियार और लाइसेंस जमा करा दिए। पुलिस ने जांच में 84 लोगों को लिस्टेड करके उनके दस्तावेज वेरीफिकेशन के लिए नागालैंड भेजे थे। दीमापुर कलेक्टर की रिपोर्ट को आधार मानकर 21 लोगों के लाइसेंस फर्जी माने। शेष 69 को क्लीन चिट दे दी। नया शहर एसएचओ गोविंद सिंह ने मुकदमे में चालान पेश करने की तैयारी कर ली और अभियोजन स्वीकृति के लिए फाइल कलेक्टर को भेज दी। पता चला है कि तत्कालीन कलेक्टर ने कुछ बिंदुओं पर सवाल उठाते हुए फाइल वापस एसपी को लौटा दी। सवालों पर जांच के लिए एएसपी ग्रामीण सुनील कुमार को पत्र लिखा गया। लेकिन उनके जांच करने से पहले ही एसओजी का लेटर आ गया। फाइल एसओजी को भेज दी गई है।

21 के लाइसेंस सस्पेंड हुए थे.बहाल कराने की कवायद

फर्जी आम्स लाइसेंस प्रकरण में नागालैंड प्रशासन ने बीकानेर के 21 लोगों के लाइसेंस सस्पेंड किए थे। इनमें अमरजीत, महबूब अली, दीपक अरोड़ा, अजीत कुमार, भानू प्रताप, जुगल किशोर, लाल सिंह, सुजान सिंह, रवि चावला, मुमजात खान, मदनलाल छींपा, बच्चन सिंह, मोहम्मद जावेद कादरी, पतराम जाट, उम्मेद सिंह, दीपक कोड़ा, जावेद खान, केशव शर्मा और राजेंद्र प्रसाद शामिल थे। अब कुछ लोग अपने लाइसेंस वापस बहाल कराने की कवायद में जुटे हैं।

एसओजी एजीडी ने कहा,केस अभी चल रहा है चार्जशीट फाइल नहीं हुई।

चार साल तक जांच की पुलिस ने अब एसओजी करेगी :

नागालैंड से फर्जी आर्म्स लाइसेंस बनवाने की जांच बीकानेर पुलिस ने चार साल तक की है। इस दौरान तीन नया शहर थाने में तीन एसएचओ बदले। तीनों ने ही अपने स्तर पर जांच की। पुलिस की टीम नागालैंड भी गई। एसओजी अब पूरी फाइल खंगालेगी। इस दौरान जांच की परतें भी उधड़ेंगी। नया शहर थाने में 10 अक्टूबर 2017 को पांच लोगों के विरुद्ध नामजद एफआईआर दर्ज हुई थी। पुलिस ने अपनी जांच में पांचों को ही क्लीच चिट दे दी। अब एसओजी दुबारा मामले की तह तक जाकर पता करेगी कि पुलिस की जांच कितनी सही है। चूंकि लाइसेंस बनवाने वालों में रसूखदार लोग भी थे। इसलिए सवाल ये भी है कि कहीं पुलिस दबाव में तो नहीं थी।

इधर… हथियारों की मंडी बन रहा शहर

बीकानेर अवैध हथियारों की मंडी बनता जा रहा है। जनवरी के 23 दिन में ही अवैध पिस्तौल के 10 मामले सामने आ चुके हैं। पुलिस ने पिछले साल करीब 74 मामले दर्ज किए थे। इन मामलों में 80 से अधिक अपराधियों के गिरफ्तार कर उनके पास से 50 से अधिक अवैध हथियार बरामद किए गए। बीकानेर में अवैध हथियार मध्य प्रदेश से लाए जा रहे हैं। पांच से 10 हजार में वहां से हथियार लाकर यहां 25 से 30 हजार तक बिक रहा है। पिछले दिनों पकड़े गए अपराधियों से इस बात का खुलासा हुआ था, लेकिन पुलिस फिर भी मुख्य सप्लायर तक नहीं पहुंच पा रही

नागालैंड से फर्जी आर्म्स लाइसेंस बनवाने के मामलों की जांच अभी पूरी नहीं हुई है। बीकानेर से फाइल मंगवाई है। उसका परीक्षण किया जाएगा। जांच पूरी होने के बाद ही चार्जशीट पेश होगी। -अशोक राठोड़, एडीजी, एसओजी

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