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बीकानेर, स्वामी केशवानंद राजस्थान विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास निदेशालय में विगत इक्कीस दिनों से जारी विंटर स्कूल का आज समापन हुआ। वेलेडिक्ट्री कार्यक्रम के अध्यक्ष कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.आर.पी. सिंह और मुख्य अतिथि डॉ बी आर सिंह, अधिष्ठाता कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, सरदार वल्लभभाई पटेल यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी मेरठ रहे। कुलपति प्रो आर पी सिंह ने बताया की देश की विभिन्न दिशाओं से आए प्रतिभागियों ने राजस्थान की विषम परिस्थितियों के बारे में जाना पहचाना और भविष्य में इन अनुभवों का उपयोग कर देश को प्रगति के पथ पर ले जाएंगे। कि हमारे देश में विभिन्न जलवायु क्षेत्र हैं राजस्थान की जलवायु बहुत अलग है जहां एक और चूरू जैसे क्षेत्र में अति ज्यादा गर्मी तापमान अधिक रहता है वहीं सर्दी में जमा देने वाली सर्दी पड़ती है राजस्थान सरकार कृषि के विकास को लेकर सदैव चिंतित रही है और इसके आगे बढ़ाने में कई कदम बढ़ाए हैं जो कृषि शिक्षा को लेकर गए हो या कृषि तकनीकी विकास को किसानों तक पहुंचाने में हो। विश्वविद्यालय द्वारा कम पानी और खारे पानी से फसल उगाने पर बड़े पैमाने पर रिसर्च का कार्य चल रहा है। ड्रिप और स्प्रिंकलर खेती के माध्यम से किसानों को जोड़ा जा रहा है। बाहर से पधारें समस्त प्रतिभागियों को कृषि विकास तकनीकों से लेकर बीकानेर के व्यंजनों से लेकर व लोक कला संस्कृति से परिचित करवाया गया। मुख्य अतिथि डॉ बी आर सिंह ने बताया कि दो दशक पहले जब राजस्थान आना हुआ था तब से आज की बहुत परिवर्तन आ गया है कई तरह की खेती, फसलें गेहूं, चना आदि राजस्थान प्रदेश की कृषि में प्रगति को बयां करता है। विषम परिस्थितियों में राजस्थान कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है ड्रिप-इरिगेशन और स्प्रिंकलर से खेती जैसी तमाम तकनीकों से राजस्थान निश्चित रूप से नए आयामों को छुएगा। अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय बीकानेर डॉ आई पी सिंह ने बताया कि लगभग 50 लेक्चर के अलावा कई प्रैक्टिकल आयोजित किए गए। सॉइल-वॉटर टेस्टिंग से लेकर बायोटेक यूनिट का भ्रमण किया। जैसलमेर विजिट भ्रमण मार्च महीने में अप्रत्याशित तापमान के कारण नहीं हो पाया लेकिन देशनोक विजिट किया और यहाँ की धार्मिक और कला लोक-संस्कृति के बारे में जाना।

कोर्स कोऑर्डिनेटर डॉ पी के यादव ने बताया कि आईसीएआर द्वारा प्रायोजित 21 दिवसीय विंटर स्कूल 08 मार्च से चल रहा है। प्रत्येक दिन चार-पांच लेक्चर हुए। सभी लेक्चर अपने क्षेत्र में जाने-पहचाने वैज्ञानिकों द्वारा दिये गए, जिसमें एमपीयूआईटी उदयपुर, काजरी जोधपुर, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी कोटा, हिसार, लुधियाना और आईएआरआई नई दिल्ली के वैज्ञानिकों के लेक्चर भी शामिल है। डायरेक्टर, सीआईएएच और एनआरसी सीड स्पाइसेज ने अपने प्रेजेंटेशन दिए। सीआईएएच सेंटर गोधरा गुजरात, काजरी रीजनल स्टेशन बीकानेर के सहयोग से चलाए गए। प्रैक्टिकल क्लासेस जैसे एचपीएलसी, एएएस तथा अन्य इक्विपमेंट्स द्वारा कराई गई। प्रतिभागियों को सीआईएएच एनआरसी केमल सेंटर भी दिखाया गया। इसके अलावा इस क्षेत्र की पहचान बीकाजी ग्रुप की फैक्ट्री की विजिट की विभिन्न तरह के भुजिया बनते हुए देखें। इस मौके पर “एडवांसेज इन इरिगेशन टेक्नोलॉजी एंड न्यूट्रिएंट् मैनेजमेंट इन एरिड हॉर्टिकल्चर क्रॉप्स’’ विषयक कंपेंडीएम ऑफ़ विंटर स्कूल का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में समस्त प्रतिभागियों और कोर्स कोऑर्डिनेटर, डॉ आर एस राठौड़, डॉ आर के नारोलिया डॉ सीमा त्यागी, डॉ सुशील खारिया को प्रमाण पत्र दिए गए। कार्यक्रम के अंत में अध्यक्ष व मुख्य अतिथि को प्रतीक चिन्ह स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। कार्यक्रम का संचालन डॉ मंजू राठौर ने किया और अंत में डॉ आर एस राठौड़ ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए –
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डॉ बी बी पाटील, सतारा महाराष्ट्र से आए प्रतिभागी ने बताया कि यहां की जलवायु वनस्पति विशेषकर खेजड़ी जिसके बारे में बहुत देखा सुना था वह देखना और इसके बारें में जानना बड़ा सुखद अनुभव है।

डॉ पी के सिंह शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी श्रीनगर कश्मीर से आए प्रतिभागी ने बताया कि हमारे वहां जल के प्राकृतिक स्रोत उपलब्ध है लेकिन खरीफ के समय पानी की आवश्यकता रहती ही है ऐसे में यहां जो पानी की बचत व संग्रहण के तरीकों को देखा उसका उपयोग वहां किया जा सकता है।

डॉ सुमन जीत कौर लुधियाना ने बताया कि हमारे वहां भी तापमान और पानी की समस्या है यहां पर किए जा रहे हैं तकनीकी विकास के बारे में जाना जो कि अविस्मरणीय है।

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