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बीकानेर,जैनाचार्य श्रीपूज्य जिनचन्द्र सूरिश्वर के सान्निध्य में, यति अमृत सुन्दर, यति सुमति सुन्दर व आर्या मुक्ति प्रभाश्री, आर्या समकित प्रभा के नेतृत्व तथा जिनेन्द्र कोचर के संचालन में आसानियों के चौक के सूरज भवन, मुकीम बोथरा भवन व नाल तथा कोलकाता में पर्युषण पर्व पर दस दिवसीय सत्य साधना शिविर शनिवार को शुरू हुए। शिविर में स्थानीय व देश के विभिन्न इलाकों से आए साधक हिस्सा ले रहे है। बड़ा उपासरा में रविवार से पर्युषण पर्व के विशेष प्रवचन सुबह नौ बजे व दोपहर साढ़े तीन बजे शुरू होंगे।

जैनाचार्य श्रीपूज्य जिन चन्द्र सूरिजी ने बड़ा उपासरा में शनिवार को प्रवचन में कहा कि सत्य साधना मन को शुद्ध व स्थिर बनाते हुए आत्म व परमात्म स्वरूप से साक्षात्कार करवाती है। जीवन में आंतरिक खुशी, सुख और सुख-समृद्धि लाती है। सत्य, अहिंसा, आचौर्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, मौन आदि सदाचारों का पालन करते हुए, व्यसन,ै आलस्य, प्रमाद का त्याग करते हुए उत्साह व उमंग के सा।थ सत्य साधना करें। पांच सदाचारों का पालन करते हुए श्वास व सत्य दर्शन करें। सत्य साधना जीवन को संयमित, संतुलित बनाते हुए स्वयं के मुक्त स्वरूप का अनुभव कराती है, जिससे साधक अपना और दूसरों का भला करने लगता है और निज व लोक तथ्ैा विश्व कल्याण मार्ग पर आगे बढ़ता है।
यति अमृत सुन्दर ने प्रवचन में कहा कि पर्युषण पर्व के दौरान कषाय क्रोध, लोभ, मान, माया आदि को दूर करने का प्रयास तथा अपने मन को शांत करें। पर्युषण का पूरा सार क्षमा ही है। क्षमा को अपने जीवन में अपनाएं।
यति सुमति सुन्दर ने कहा कि जीवन में सुधार करें, मिथ्या दर्शन शल्य सहित 18 पापों से बचे, सत्य साधना को जीवन में उतारें। सत्य साधना वर्तमान की साधना है। यतिनि समकित प्रभा ने कहा कि पर्युषण पर्व के दौरान जैन समाज के प्रमुख आगम कल्पसूत्र का वाचन-विवेचन किया जाता है। कल्पसूत्र में तीर्थंकरों की साधना, आराधना, आध्यात्मिक
उपलब्धि तथा केवल ज्ञान प्राप्ति का वर्णन है। हमें भौतिक सुख, समृद्धि की उपलब्धि की बजाएं भव-भव तक साथ रहने वाली उपलब्धि सत्य साधना के माध्यम से प्राप्त करनी है।

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