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बीकानेर ,राजस्थान से वरिष्ठ अध्यापक मोहर सिंह मीना ने लिए भाग. एस आर. जे, वी, कला और वाणिज्य महाविद्यालय,शिग्गांव,कर्नाटक हिंदी प्रचार समिति,बेंगलुरु तथा कर्नाटक विश्वविद्यालय,धारवाड़ के हिंदी विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में “कोरोना के परिप्रेक्ष्य में हिंदी साहित्य” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें राज्य से वरिष्ट अध्यापक हिन्दी मोहर सिंह मीना ने भी भाग लिया। मीना ने बताया कि इस वेबीनार में प्राचार्य सी. एच.तावरगोंदी ने सबका स्वागत किया तथा आयोजक डॉ. भालचंद्र तोंडिहाल ने प्रस्तावना के साथ सभी का स्वागत किया। डॉ.वी.आर.देवगिरी ने बीजवक्ता के रूप में कोरोना के परिप्रेक्ष्य में साहित्यकारों की भूमिका, समाज तथा साहित्य के साथ सतर्कता, स्वच्छता का महत्त्व प्रतिपादित किया। मुख्य वक्ता के रूप में महाराष्ट्र के साहित्यकार तथा ‘लॉकडाउन’ कहानी संग्रह के लेखक धन्यकुमार बिराजदार ने अपने वक्तव्य में कोरोना के परिप्रेक्ष्य में विभिन्न भाषा में लिखे गए साहित्य के साथ हिंदी भाषा में कोरोना पर लिखित साहित्य पर दृष्टिपात किया। उन्होंने कोराना के कारण उत्पन्न सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए डॉ.नीरजा माधव, बलजीत सिंह,डॉ. रामनिवास मानव,डॉ.मंजुला चव्हाण,डॉ.श्रीकांत पाटील आदि के साहित्य की समीक्षा करते हुए अपने ‘लॉककडाउन’ कहानी संग्रह पर भी दृष्टिपात किया। नेपाल के साहित्यकार विष्णु लाल कुमाल ने तालाबंदी के काल में नेपाल में निर्मित परिस्थितियों के साथ कोरोना कालीन नेपाल के हिंदी साहित्य पर दृष्टिपात किया। उन्होंने विभिन्न हिंदी साहित्यकारों की रचनाओं के साथ धन्यकुमार बिराजदार के ‘लॉकडाउन’ कहानी संग्रह पर प्रकाश डालते हुए कठिन परिस्थितियों में सहानुभूति तथा मानवीयता बनाए रखने की बात की। वेबीनार का सूत्र संचालन डॉ. नीलंबिका पाटिल ने किया तो डॉ. शिव प्रकाश ने कृतज्ञता ज्ञापन किया। इस अवसर पर भारत के साथ विदेश के हिंदी प्राध्यापक,शोध छात्रा कांता मीना महाराजा गंगासिंह विवि बीकानेर तथा पत्रकार उपस्थित थे।

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