बीकानेर,जिले में ब्याज माफियाओं ने तहलका सा मचा रखा है,जो जरूरमंदों को उधारी देकर चौगूना ब्याज वसूल रहे है। इनके चंगूल में फंसे लोग अपने घर गहने और संपति बेचने के साथ मौत को गले लगाने के लिये मजबूर हो रहे है। इसका एक मामला अभी हाल ही कोटगेट थाना इलाके में उजागर हुआ जब ब्याज माफियाओं की रकम चुकाने के लिये एक किराना कारोबारी के लडक़े ने अपने घर से लाखों के जेवरात चोरी कर गिरवी रख दिये। जानकारी के अनुसार ब्याजखोरी का जानलेवा कारोबार शहर ही नहीं गांवों कस्बो में खूब फल-फूल रहा है। यह ब्याज माफिया मूल धन पर 10 रुपए सैंकड़ा से लेकर 40 रुपए सैंकड़ा तक ब्याज राशि वसूल कर रहे हैं। यह राशि इतनी है कि कर्ज लेने वाला चाहे तो भी नहीं चुका सकता। बिना लाइसेंस के बैंकिंग व्यवसाय चलाना अपराध है, लेकिन आज तक किसी ने इनकी जांच तक नहीं की। सूदखोरी का यह कार्य अब दबंग युवा चला रहे हैं, जिनके पास अपनी गैंग तक होती है। इनके तार अपराध जगत के कुख्यातों से जुड़े होने के कारण लोग इनके खिलाफ आवाज उठाने से घबराते है,गैंग में शामिल बदमाश उधार रुपए व ब्याज समय पर नहीं देने वाले के घर जाकर उसे धमकाने से लेकर मारपीट और छीनाझपटी तक कर रहे है। इस धंधे में कई सफेदपोश लोगों का रुपया लगा हुआ है। जुआ,सट्टा और नशाखोरी की लत के अलावा छोटा-मोटा कारोबार शुरू करने के चक्कर में युवा 10 से 40 रुपए सैंकड़ा में यह राशि ले रहे हैं। इस राशि से ब्याज तो हर महीने पहले से ही ले लिया जाता है, लेकिन मूल बढ़ता जाता है। शहर में ऐसे कई घर-परिवार है जिनके युवा सूदखोरों के जाल में फंस कर तबाही के रास्ते पर चल रहे है।
बेचना पड़ गया बेसकिमती भूखण्ड
सूदखोरों के चक्कर में आकर एक परिवार ने अपनी सारी जमा पूंजी ब्याजखोरों को चुका दी और बेसकिमती भूखण्ड भी बेचना पड़ गया। इस परिवार के मुखिया ने अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि एकलौता बेटा होने के कारण परिजन अपने बेटे का हर शौक पूरा कर रहे थे। लेकिन गलत संगत में पडऩे से उसने क्रिकेट सट्टा शुरू कर दिया। इसके चलते वह लाखों रुपए के कर्ज के तले दब गया। ब्याजखोरों के बदमाश गुर्गो ने उसे घर आकर डराना धमकाना शुरू कर दिया,इतनी बड़ी रकम चुकाने में नाकाम रहने पर वह डिप्रेशन में आ गया और एक बार फांसी लगाकर खुदकुशी का प्रयास भी किया। तब परिजनों को पता चला। बेटे की सलामती व इज्जत के चलते उन्हें अपनी सारी जमा पूंजी ब्योजखोरों को दे दी और बेसकिमती भूखंड ओने-पौने दामों में बेचना पड़ा। यह दर्दभरी दांस्ता किसी एक परिवार की नहीं है बल्कि शहर में सैंकड़ो ऐसे घर-परिवार है जो ब्याजखोरों के कारण बर्बाद हो चुके है।