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बीकानेर,रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में भक्तामर प्रसारिका, महत्तरा पद से विभूशित साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदया के सान्निध्य में चल रहे 22 दिवसीय श्री भक्तामर पूजन व अभिशेक विधान के छठे दिन शनिवार को भक्तामर स्तोत्र की 11 व 12वीं   गाथा का अभिशेक व पूजन किया गया। पूजा व प्रभावना का लाभ चार्टेड एकाउंटेंट वरिश्ठ श्रावक राजेन्द्र कुमार, श्रीकृश्ण, अनुपम, जेठमल, जिनेन्द्र व खुशवंत लूणिया परिवार ने लिया।
साध्वीश्री मृगावतीजी ने प्रवचन में कहा कि त्रिलोकी के नाथ परमात्मा, समता भाव से सभी प्राणियों पर कृपा व दया करते है। परमात्मा की भक्ति करने वाला जीव सुख, सम्पति, वैभव प्राप्त करता है मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर होता है,वहीं परमात्मा से विमुख रहने वाला, उन पर अविश्वास करने वाला अज्ञानी व्यक्ति अनेक तकलीफों से झूझता रहता है।  परमात्मा की निश्काम भाव से की गई सम्यक और सच्ची भक्ति ही श्रेश्ठ है। भक्ति में दिखावें की बजाए भाव निर्मल व उतम होने चाहिए।

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