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बीकानेर,जिले का अंतिम गांव दियात्रा बीकानेर से करीब 70 किलोमीटर दूर है। ये उसी मासूम अंशु का गांव है जिसे उसके माता-पिता ने नहर में फेंक दिया था. क्योंकि डर था कि 2 से ज्यादा बच्चे होने पर पिता को सरकारी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।

जब इस गांव में पहुंचा तो पता चला कि बच्ची जन्म के बाद एक बार भी अपने घर नहीं आई है। 23 जनवरी को अंशु पहली बार अपने घर आ रही थी, लेकिन उसके माता-पिता ने उसकी हत्या कर दी। बच्ची का शव गांव नहीं आया। उनका अंतिम संस्कार छतरगढ़ में ही किया गया।

में जैसे ही गांव पहुंचा तो कुछ लोगों ने पूछा ‘कौन गांव रां हो..’ (आप किस गांव के हैं)? हमने कहा- हम बीकानेर से हैं। नहर में फेंकी गई बालिका के बारे में पता किया है। यह सुनते ही सब इधर-उधर हो गए।

दरअसल, 13 अक्टूबर 2022 को झंवरलाल-गीता को बेटी हुई। इस बारे में उसने परिवार के कुछ सदस्यों के अलावा किसी को नहीं बताया। दियात्रा गांव के एक व्यक्ति से जब बच्ची के बारे में पूछा गया तो उसने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गांव में एक ही मैसेज था कि बेटी हुई और वह लौट आई। यानी जन्म के तुरंत बाद उसकी मौत हो गई। हालांकि झंवरलाल के परिवार ने इससे इनकार किया है।

इधर, लोगों का तर्क है कि- झंवरलाल स्कूल में काम करता है। वहां उन्होंने शपथ पत्र दिया था कि उनके केवल दो बच्चे हैं। 3 में से 1 बच्चे में उन्होंने अपने एक भाई को गोद लिया है। झंवरलाल को डर था कि अगर वह नवजात बेटी को घर ले आए तो उनकी नौकरी चली जाएगी। ऐसे में उसे रास्ते में नहर में फेंक दिया गया।

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