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बीकानेर,बसंत पंचमी को भारत में पूरे विश्व के लिए गो आधारित समग्र क्रांति का सूत्रपात किया गया है। गो संस्कृति की विस्मृति और विश्व बाजार के दवाब में खोई हुई परंपरागत गाय आधारित थाती की पुनर्स्थापना का बीज global confederation of cow based industries – gcci – ( गाय आधारित उद्योगों का वैश्विक परिसंघ ) के रूप में बोया गया है। गो संस्कृति क्या है ? पूरा कृषि तंत्र, ऋषि तंत्र और प्रकृति तंत्र जिस गाय से संचालित हो वो ही गो संस्कृति है। अब भारत में वे दिन दूर नहीं है जब gcci के समग्र प्रयासों से गो आधारित खेती, गो आधारित उद्योग, गो आधारित खाद्यान्न होने वाले है। गाय मानव और जीव जगत का ही नहीं पूरी प्रकृति का पोषण करती है। Gcci के चेयरमैन डा. बल्लभ भाई कथिरिया ने इस गो संस्कृति को वैश्विक परिवेश में मूर्त रूप देने के लिए देश के 50 विशेषज्ञ लोगों की gcci की गर्वनिग काउसिल की घोषणा की है। साथ ही गोशाला प्रबंधन, गो संवर्धन, जैविक खेती, बायो एनर्जी, गाय के पालन पोषण, पंचगव्य थेरेपी, गोचर व चारागाह प्रबंधन, अवार्ड व पब्लिकेशन, आपदा प्रबंधन, अनुसंधान एव विकास, गोबर उत्पाद, वित्त पोषण, ट्रेनिग, गो उत्पाद विपणन, कोपरेटिव सोसायटी, मीडिया, आई टी सोशल मीडिया, लीगल कमेटी, विमेन विंग व अंतर्राष्ट्रीय कमेटी जैसी 30 कमेटियों की बसंत पंचमी को घोषणा की गई है। Gcci मानती है कि गो आधारित कृषि, गो आधारित उद्योग और गो आधारित अर्थ व्यवस्था देश के समग्र विकास में नई क्रांति है। gcci के कार्य की रूपरेखा तैयार है। बस पूरे देश में एक उदघोष का इंतजार है।

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