बीकानेर,स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ कम्यूनिटी साईन्स एवं भारत सरकार के मिलेट्स विकास निदेशालय, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में मोटे अनाज की महत्ता पर प्रशिक्षण दिया गया। जवाहर नवोदय विद्यालय, गजनेर कक्षा-9 के विद्यार्थियों द्वारा 1 से 7 एवं 14 से 20 फरवरी तक दो समूहों में सात दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया।
खाद्य एवं पोषण विभाग की अध्यक्ष एवं कॉलेज ऑफ कम्युनिटी साईन्स की डीन डॉ विमला डुकवाल ने मोटे अनाज की जानकारी देते हुए बताया कि बाजरा, रागी, ज्वार, कोदो, कुटकी, सामा, राजगीरा, कुहू आदि मोटे अनाज की श्रेणी में आते हैं। मोटे अनाज में प्रचूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते है। जिस कारण इन्हें न्युट्रीसीरियल्स भी कहा जाता है।
मानव विकास एवं पारिवारिक अध्ययन विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ मंजू कंवर राठौड ने मिलेट्स के प्रकार, खेती और पोषण मूल्य के बारे में जानकारी दी। उन्होने बताया कि भारत विश्व स्तर पर मोटे अनाज का 20 प्रतिशत उत्पादन करता है तथा वर्ष 2023 को अन्तराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मनाया गया। इसका उद्देश्य मोटे अनाज की उपयोगिता के प्रति जागरूकता फैलाना था। इनके मार्गदर्शन में भीखाराम चांदमल फैक्टरी, मरूशक्ति एवं कैमल फार्म का भ्रमण किया गया।
खाद्य एवं पोषण विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ ममता सिंह ने मानव आहार में मोटे अनाज की महत्ता विषय पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बाजरा, ज्वार व रागी में आयरन, कैल्शियम, जिंक आदि पोषक तत्व अधिक होने के साथ-साथ रेशा भी भरपूर मात्रा में होता है। इससे यह अनाज डायबिटीज, हदय रोग, कोलोन कैसर आदि रोगों से बचाव करते है। इसके साथ ही ग्लूटेन मुक्त होने से गेहूँ, की एलर्जी वाले लोगों के लिए भी यह अनाज उपयोगी है।
खाद्य एवं पोषण विभाग की गेस्ट फैकल्टी डॉ नम्रता जैन ने विद्यार्थियों को बाजरे के बिस्किट, लड्डू, खाखरा, कुरकुरे, आंवला केण्डी, कपकेक इत्यादि बनाने का प्रशिक्षण दिया तथा विद्यार्थियों को पैकेजिंग एवं मार्केटिंग के बारे में भी बताया।
कार्यक्रम में कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति अरूण कुमार एवं पीएमश्री स्कूल, जवाहर नवोदय विद्यालय, गजनेर प्राचार्य इलियास खान उपस्थित रहे।
प्राचार्य इलियास खान ने बताया कि जवाहर नवोदय विद्यालय में सप्ताह में एक दिन बाजरे का दलिया दिया जाता है। इस दौरान विद्यार्थियों को प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र भी वितरित किए गए।