
बीकानेर, दुनिया में बड़ी नहरों में शुमार इंदिरा गांधी नहर परियोजना (आई जी एन पी) सकल राष्ट्रीय कृषि उत्पादन बढ़ाने वाली ही नहीं बल्कि पश्चिमी राजस्थान में नए रूपों में जीवनदायिनी भी है। अभी नहर से जल जीवन योजना में जल भंडार के लिए एस्केप को रिजर्वायर में तब्दील करने, लिफ्टों क्षेत्र में स्प्रिकलर सिंचाई प्रणाली विकसित करने तथा पूरी नहर पर ईआरएम के काम व्यापक जनहित में है। इंदिरा गांधी नहर की छह लिफ्ट नहरों की 3 लाख 47 हजार हेक्टेयर में स्प्रिकल सिंचाई परियोजना पर काम चल रहा है। जल जीवन योजना में मुख्य नहर से जुड़े चार एस्केप (आरडी 507, 750,1121,1354) में चार रिजर्वायर बनाए जा रहे हैं । इन रिजर्वायर में कर एक लाख क्यूसेक पानी डेज का संग्रह पेयजल के लिए किया जा सकेगा। इससे लाखों क्यूसेक बरसाती पानी का अपव्यय या समुंद्र में जाने से बच जाएगा। जल संसाधन का इस योजना से स्थायित्व कायम हो सकेगा। इंदिरा गांधी नहर क्षेत्र में एक हजार करोड़ की लागत से एक्सटेंशन, रिनोवेशन एव मोडीफिकेशन (ईआरएम) का काम सागर मल गोपा, बरसलपुर, दन्तोरा वितरिका, भूटोवाली आदि में काम चल रहा है। ईआरएम से अनुमानित रूप 500 क्यूसेक पानी के सीपेज से बचा सकेंगे। नहर की जल प्रवाह क्षमता वर्तमान में 10 हजार 500 क्यूसेक से वापस बढ़कर 15 हजार क्यूसेक हो सकेगी। नहर 18 हजार 500 क्यूसेक जल प्रवाह क्षमता की डिजाइन है। इंदिरा गांधी नहर सिंचित कृषि के अलावा जल जीवन योजना, स्प्रिकल सिंचाई तथा वर्षा जल संरक्षण का बड़ा स्रोत बनने जा रहा है। यह कार्य भारत सरकार और राजस्थान सरकार की सहभागिता से चल रहे हैं। यह नहर केवल कृषि विकास में ही वरदान सिद्ध नहीं हो रही है, बल्कि पश्चिमी राजस्थान के लिए जीवनदायिनी भी है।