
बीकानेर,रक्तदान जैसे पुण्य कार्य को जीवन का उद्देश्य बनाने वाले मरुधरा ब्लड हेल्पलाइन बीकानेर के वरिष्ठ सेवादार इंद्र कुमार चांडक ने रविवार को हंसा गेस्ट हाउस में आयोजित रक्तदान शिविर में अपना 100वां रक्तदान पूर्ण कर इतिहास रच दिया।
यह शिविर अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के तत्वावधान में आयोजित हुआ, जिसमें शिविर की व्यवस्थाएं मरुधरा ब्लड हेल्पलाइन बीकानेर द्वारा संभाली गईं। इस ऐतिहासिक अवसर पर इंद्र कुमार जी ने अकेले नहीं, बल्कि पूरे परिवार सहित रक्तदान कर मानवीय सेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया। उनके सुपुत्र, भतीजे, पुत्रवधू, छोटे भाई आदि ने भी इस अवसर पर रक्तदान किया, वहीं उनकी माता, धर्मपत्नी, बड़े भाई-बहन की उपस्थिति ने इस क्षण को और भी भावुक बना दिया।
शिविर में इंस्पेक्टर अरविंद सिंह, लेखाधिकारी शरद सिंह, भवानी सिंह, प्रतीक माथुर, अमित मोदी, डॉ. पूजा मोहता सहित कई रक्तदाताओं ने भी रक्तदान कर इस पावन अवसर को साझा किया। इस दौरान मरुधरा परिवार के मुकुंद ओझा, घनश्याम ओझा सारस्वत (जीएस), विक्रम इछपुल्याणी, रविशंकर ओझा सारस्वत, मुखराम जाखड़, अरविंद सिंह, शरद सिंह, मयूर भुंड, भेरूरतन ओझा, अमरनाथ तिवाड़ी, प्रताप उपाध्याय, एसपी सोनी, अमित मोदी आदि उपस्थित रहे पीबीएम ब्लड बैंक और जन सेवा ब्लड बैंक की सहभागिता से कुल 101 यूनिट रक्त संग्रहित किया गया।
15 रक्तदान कुर्सियों की घोषणा
शिविर के समापन पर इंद्र कुमार चांडक ने 15 रक्तदान कुर्सियां भेंट करने की घोषणा की, जो बीकानेर में भविष्य के रक्तदान शिविरों में अमूल्य योगदान देंगी।
लोग कहते हैं कि उम्र में शतक लगाना आसान नहीं, पर इंद्र कुमार चांडक ने तो 100 बार दूसरों को जीवन देने का कार्य किया है।
2 जनवरी 1998 को जब उन्होंने यह मुहिम शुरू की थी, तब रक्तदान को लेकर समाज में भय और भ्रांतियां फैली थीं।
इंद्र कुमार जी ने न सिर्फ इस सोच को बदला, बल्कि कोविड जैसी वैश्विक महामारी से जूझने के बाद भी रक्तदान को जारी रख, अपने अटूट हौसले और सेवाभाव का परिचय दिया।
उनका यह शतक सिर्फ आंकड़ा नहीं, 100 परिवारों में उम्मीद, जीवन और खुशियों की लौ है।
उनकी पारी अभी “नॉट आउट” है, और हमें विश्वास है कि उनके जैसे प्रेरणास्रोत समाज को नई दिशा देते रहेंगे।
यह शतक सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि सेवा का प्रतीक है।