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बीकानेर,प्रतिभा की कमी नहीं है लेकिन उन्हें उचित मंच नहीं मिलने के कारण वे मंजिल पर नहीं पहुंच पाती हैं। उन्हें तरासने की जरूरत है। ऐसी ही प्रतिभा यहां मोमासर गाँव में अपनी प्रतिभा का हुनर दिखा रही है। उपखण्ड कार्यालय श्रीडूंगरगढ़ से 36 किलोमीटर दूर मोमासर गांव में जहां पर सुधार जाति के काफी घर है और महारथ हासिल कर रखी है और उन्होंने अपनी एक अमिट छाप है।

पुश्तैनी धंधे में लगे हैं लेकिन यहां के एक 21 वर्षीय युवक सीताराम सुथार ने अपने पुश्तैनी धंधे से हटकर कुछ नया करने व देश विदेश में पहचान बनाने की ठानी। दादा लिछमनरामव पिता कानाराम के छत्रछाया ने इस बालक को इस काबिल युवक बना दिया कि आज यह अपनी काष्ठ कला के बदौलत देश-विदेश में पहचान बना चुका है।

सभी ने अपनी कारीगरी में खूब काष्ठ से देता आकार

यह कलाकार काष्ठ कला से काष्ट की बाइक्स, वुडेन मोटर साइकिल, स्केल ट्रैक्टर, ऊंट, गाय, घोड़ा,

अलग करने की ठानी रोलस रॉयल्स कारें, हार्ले डेविडस

हेलीकॉप्टर, कंटेनर शिप, जलपोत, नाव, खेत के हल की हूबहू आकृति, काष्ट पर अशोक चक्र आदि हूबहू बना देता है। यहां तक मोमासर गांव का नक्शा भी काष्ठ व लाइट से बनाकर अपनी कला का प्रदर्शन किया है।

सीताराम ने बताया कि उसकी रुचि शुरू से ही कुछ अलग करने की रही जिसमें उनके दादा, पिता व सरकारी औपचारिकताओं में सीए आशीष शर्मा का पूर्ण सहयोग मिला विदेशों में भी मांग

अपनी छोटी-मोटी कलाकारी, खिलौने आदि को बनाकर जयपुर की एक विख्यात अंतरराष्ट्रीय कम्पनी डीपी इंटरप्राइजेज जयपुर के संपर्क में आया व इसके उत्पाद को देखकर बड़ा आदेश मिला व अब कई देशों में माल जाता है। अब तो इसने ऑनलाइन आइडी भी बनाली है जिसके जरिये आदेश भी मिल रहे है। यह एक बार दिल्ली के प्रगति मैदान में प्रदर्शनी भी लगा चुका है। सुधार के बनाए काष्ठ के खिलौने आदि देशों में निर्यात भी हो रहे हैं लेकिन प्रशासन द्वारा कोई प्रोत्साहन

 

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