Trending Now




बीकानेर, रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में ’’कल्पसूत्र’’ का वाचन विवेचन करते हुए साध्वीश्री मृगावती व नित्योदयाश्रीजी ने भगवान महावीर, भगवान पार्श्वनाथ व नेमीनाथ के जन्म, दीक्षा, चव्यन, केवलज्ञान व मोक्ष कल्याण का वर्णन करते हुए कहा कि सभी तीर्थंकरों का अवतरण जीवात्मा के कल्याण के लिए हुआ।

उन्होंने कहा कि तीर्थंकर परमात्माओं ने समता व समदर्शी भाव के साथ सभी जीवों इंद्रिय जीवों को अभयदान देने, उनके प्रति करुणा व दयाभाव, ज्ञान, दर्शन व चारित्र की साधना समता से करते हुए अपने आत्म व परमात्म स्वरूप को पहचानें तथा मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर बनें।
साध्वीवृंद ने 88 वर्षीय वर्षीतप के साथ अट््ठाई करने वाले बंशीलाल चोरड़िया, चौविहार (बिना जल) 15 दिन की तपस्या करने वाले कन्हैयालाल भुगड़ी व अट््ठम तप के तपस्वियों की अनुमोदना करते हुए कहा कि जिनशासन में तपस्या एक तरह का टैक्स है। इसका चुकारा प्रत्येक श्रावक-श्राविका को करना अनिवार्य है । उपवास, बेला, तेला, अट््ठाई, मासखमण, आयम्बिल, नीवी आदि की तपस्या स्वास्थ्य की अनुकूलता के अनुसार शुद्ध भाव से देव, धर्म व गुरु की भक्ति के साथ करनी चाहिए। किसी कारणवश तपस्या नहीं करते वे जिन मंदिरों में पूजा प्रक्षाल व दर्शन करें तथा नवंकार महामंत्र का जाप करें।
तपस्वी बंशीलाल गुलगुलिया का अभिनंदन श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, चातुर्मास व्यवस्था समिति के संयोजक निर्मल पारख, मनोज सेठिया ने अभिनंदन किया। सोमवार को भगवान महावीर के पालना झुलाने व शोभायात्रा से पालने को अपने निवास में प्रतिष्ठित करने वाले बंशीलाल-धनराज गुलगुलिया की ओर से श्रावक-श्राविकाओं का श्रीफल की प्रभावना से अभिनंदन किया गया।

Author