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बीकानेर, स्वामी केशवानंद राजस्थान विश्वविद्यालय में आईसीएआर द्वारा प्रायोजित “एडवांसेज इन इरिगेशन टेक्नोलॉजी एंड न्यूट्रिएंट् मैनेजमेंट इन एरिड हॉर्टिकल्चर क्रॉप्स” विषय पर विंटर स्कूल का उद्घाटन डॉ ए के सिंह वाइस प्रेसिडेंट नास के द्वारा किया गया। विंटर स्कूल का शुभारंभ कुलगीत और सरस्वती पूजन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.आर.पी. बताया की  21 दिवसीय विटर स्कूल 08 मार्च से 28 मार्च तक चलेगा और विंटर स्कूल में भाग लेने के लिए त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, उत्तराखंड, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर व अन्य प्रदेशों से भी प्रतिभागी आए हैं। आईएसीआर विंटर स्कूल की गाइडलाइन से ज्यादा 20 रिसोर्सपर्सन बीकानेर के बाहर से कोटा, झालावाड़, अजमेर, उदयपुर, जोधपु,र गुजरात, हिसार, लुधियाना व दिल्ली से है इतने रिसोर्सपर्सन बुलाने के लिए विश्वविद्यालय की टीम द्वारा अथक प्रयास किए गए हैं।

            कुलपति प्रोफेसर सिंह ने बताया की मोर क्रॉप- पर ड्रॉप, जल बचत, खारे पानी आदि के साथ-साथ उत्पादन बढ़ाने मात्र पर चर्चा ना होकर जैविक व निर्यात जैसे विषयों पर भी चर्चा होगी इसके लिए कोर्स कोऑर्डिनेटर को कहा और एसे आयोजनों से भविष्य में अनुसंधान हेतु मार्ग प्रशस्त होगा । मुख्य अतिथि डॉ ए के सिंह ने काफी लंबे समय बाद ऑफलाइन/ रूबरू कार्यक्रम के आयोजन की प्रशंसा करते हुए, राजस्थान में पानी की कमी, जलवायु परिवर्तन, तापमान में वृद्धि से लेकर न्यूट्रिएंट मैनेजमेंट, इरिगेशन कंसेप्ट, ड्रोन फंक्शनिंग और सिंचाई तकनीकों में विकास पर व्याख्यान दिया और मशीनरी दक्षता को समझाया। राजस्थान की आबोहवा जैविक कृषि व प्राकृतिक खेती के लिए उपयुक्त है पर विश्लेषण किया।

            अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय बीकानेर डॉक्टर आर पी सिंह नेम कहां की वर्ष 2019 से विंटर स्कूल आयोजन की योजना थी किंतु कोविड रिस्ट्रिक्शंस के कारण 2020 में नहीं हो पाई और अंततः मार्च में यह आयोजित की जा रही है जो की 21 दिन तक यह जारी रहेगी। कोर्स कोऑर्डिनेटर डॉ पी के यादव ने विंटर स्कूल का उद्देश्य देते हुए बताया कि विश्व की जनसंख्या का 18% भारत में निवास करता है केवल साल पर 4% जल ही उपलब्ध है और इस जल का 80% कृषि में उपयोग होता है। राजस्थान प्रदेश का दो तिहाई क्षेत्र शुष्क व अर्ध शुष्क श्रेणी में आता है। राजस्थान की 295 में से 203 पंचायत समितियों में भूजल का अति दोहन हो रहा है इस कारण 70% ब्लॉक डार्क जोन के अंदर आ गए हैं। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास निदेशालय के द्वारा त्रैमासिक अवधि के प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम की पुस्तक “फलों एवं सब्जियों से से तैयार मूल्य संवर्धित उत्पाद” का विमोचन किया गया। यह पुस्तक डॉ पी के यादव, डॉ आर एस राठौर, डॉ आर के नारोलिया चंद्रभान एवं कोमल कथूरिया द्वारा चार वॉल्यूम में लिखी गई है और डॉ आर एस एल गोदारा के निर्देशन में प्रकाशित किया गया है। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि को प्रतीक चिन्ह स्मृति चिन्ह भेंट किए गए।

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