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बीकानेर, राजस्थानी लोक संस्कृति व पोशाक के बारे में बात करें तो सबसे पहले साफा या पगड़ी ही आँखों के सामने आती हैं, राजस्थान पगड़ियों का ही प्रदेश हे आज के समय में कोई भी सामाजिक अथवा धार्मिक आयोजन बिना पगड़ी के सम्पन्न नहीं होता है , इसलिए हमारे जीवन का पगड़ी या साफा विभिन्न अंग बन गया है. ये विचार आज क्षत्रिय सभा व रजवाड़ी साफा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय साफा व धोती बांधने के प्रशिक्षण शिविर के उद्घाटन सत्र में बीदासर हॉउस में अपनेअतिथीय सम्भोधन में श्री सुरेंद्र सिहं भाटी, जिला शिक्षा अधिकारी, बीकानेर ने व्यक्त किये.

इस कार्यक्रम के संयोजक श्री प्रदीपसिहं चौहान बताया कि इस शिविर में सौ लोगों को प्रशिक्षित करने का टारगेट रखा था लेकिन सीखने वालों का उत्साह देखकर 125 प्रशिक्षणार्थियों का नामांकन किया. इस शिविर कि विशेषता यह रही कि इस शिविर में एक 7 साल का बच्चा व 71 साल के बुजुर्ग भी प्रतिभागी है साथ ही सेवानिवृत कर्नल, व जिला शिक्षा अधिकारी के साथ महिलाओं ने भी नामांकन करवाया है.
इस अवसर पर क्षत्रिय सभा के अध्यक्ष करण प्रताप सिहं जी ने सभी प्रशिक्षणार्थियों का क्षत्रिय सभा की ओर से स्वागत करते हुए इस प्रशिक्षण में अधिक से अधिक सर्व समाज के लोंगो से जुड़ने का आह्वान किया.
साफा प्रशिक्षक टीम के मुखिया श्री संदीपसिहं राठौड़ ने साफा व धोती के विभिन्न प्रकारों पर प्रकाश डालते हुए साफों व पगड़ियों के बारे में जानकारी प्रदान कर सर्वाधिक चलन वाला अंग्रेजी साफा बांधकर सभी के समक्ष प्रदर्शन करके दिखाया.
इस अवसर पर क्षत्रिय सभा के संरक्षक श्री बजरंग सिहं रॉयल, श्री ओंकारसिहं मोरखाना, रणवीरसिहं नोखड़ा. देवीसिहं जी, बिजेन्द्रसिहं जी नरुका, मोहनसिहं जी, �

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