बीकानेर, नवकिरण सृजन मंच के तत्वावधान में पवनपुरी में श्रीमती पूर्णिमा बोहरा की पुस्तक “काव्य प्रवाह” का लोकार्पण किया गया । कार्यक्रम में वक्ताओं ने पुस्तक के विविध साहित्यिक आयामों की मीमांसा की
लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष एवं कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि वर्तमान दौर में ढेर सारी लिखी जा रही कविताएं में काव्य प्रवाह की रचनाएं कहीं बेहतर है । इस में लोक जीवन का कलात्मक चित्र है। काव्य प्रवाह सिर्फ अपने निजी जीवन तक ही सीमित नहीं है। इस कविता संग्रह में धरती बोलती है। जोशी ने कहा कि आम आदमी का संघर्ष झलकता है। उसके दुख-दर्द का हमें एहसास इस संग्रह की रचनाओं से होता है । उन्होंने कहा कि कठिन जीवन जीकर भी जीने की इच्छा हमें कविता बड़े सरोकारों से जोड़ती है ।
कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार भवानी शंकर व्यास विनोद ने कहा कि पुस्तक की 47 रचनाएं जीवन के बहुआयामी रंगो से ओतप्रोत है । उन्होंने कहा कि कविताओं में गागर में सागर का भाव है जिनमे मानवीय आनंद, संवेदना, चेतना, ताकत, अमिट स्मृतियां, असीमित स्वपन, आत्म साक्षात्कार, शब्दो की समझ है । कार्यक्रम में कवियत्री श्रीमती सुमन बिस्सा ने कहा कि पुस्तक की कविताओं में सामाजिक रूढ़ियां को तोड़ने और नई पीढ़ी की आवाज को बुलंद करने का उदघोष है । उन्होंने कहा कि कविताओं में भाव पक्ष के साथ कला पक्ष प्रबल है ।
कार्यक्रम में पुस्तक की प्रकाशक श्रीमती यामिनी जोशी ने पुस्तक की चयनित कविताएं सुनाई । कार्यक्रम में कवि राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि पुस्तक की रचनाओं में नारी मन की सच्ची अभिव्यक्ति है । वरिष्ठ लेखक अशफाक कादरी ने कहा कि काव्य संग्रह की रचनाएं एक दीर्घ कालखंड की स्मृतियों का जीवंत दस्तावेज है ।
कार्यक्रम में संपादक व्यंग्यकार डॉ अजय जोशी ने कहा कि कवियत्री पूर्णिमा बोहरा बहुआयामी रचनाकार है । कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती आनद कौर व्यास, प्रेम कुमार व्यास, गिरिराज पारीक ने भी अपने विचार रखे ।