बीकानेर,जयपुर,भ्रष्टाचार को लेकर जागरूकता तो बढ़ी है, लेकिन अब भी लोग भ्रष्ट आचरण की शिकायत करने से बचते हैं। जिस व्यक्ति का पैसे देकर काम हो रहा है वह इसी व्यवस्था को उचित समझता है। वह शिकायत तभी करता है जहां काम के एवज में उससे ज्यादा डिमांड की जाती है। हालांकि समाज में कुछेक ऐसे लोग भी हैं जो रिश्वत मांगने पर तुरंत ही शिकायत दर्ज करवा देते हैं। एसीबी शिकायत करने वाले हरेक व्यक्ति की मदद करती है। अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक दिवस पर एसीबी के पुलिस महानिदेशक डॉ.रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बातचीत बताया।
मेहरड़ा: आज की तारीख में पैसा होना बहुत जरूरी है। जो साहूकार बन गया, उसकी इज्जत हो रही है। पहले जो व्यक्ति गलत तरीके से पैसा कमाता था लोग उसे हेय दृष्टि से देखते थे। आज यह बात नहीं है। समाज के मूल्य अलग हो गए हैं। जो व्यक्ति भ्रष्टाचार की बात करता है, वही सुविधा की तौर पर शुल्क देकर अपना काम करवा लेता है। भ्रष्टाचार को लेकर हमारे मापदंड दोहरे हो गए हैं।
मेहरड़ा: ऐसे केसों में अभियोजन स्वीकृति पेंडिंग रहती है। बीच में इसमें गति आई थी, लेकिन अब जिस गति से अनुमति मिलनी चाहिए वह नहीं मिल रही। इसके भी प्रयास किए जा रहे हैं। सुधार आया है,सुधार की जरूरत है।
मेहरड़ा: पावर मिलते ही लोग इसका दुरुपयोग शुरू कर देते हैं। यहीं से भ्रष्टाचार शुरू हो जाता है। ऐसे में आमजन से जुड़ी सुविधाओं में पारदर्शिता होनी चाहिए। ऑनलाइन कामकाज को बढ़ावा मिलना चाहिए। करप्शन अपने आप नीचे आ जाएगा।
मेहरड़ा: भ्रष्टाचार को लेकर जितनी कड़ी कार्रवाई होगी उससे लोगों में डर बैठेगा। जितनी जल्दी हम केसों में चालान पेश करेंगे उससे लोगों में विश्वास बढ़ेगा।
मेहरड़ा: हां यह सही है, लेकिन प्रयास यही रहता है कि पीड़ित को न्याय मिले। कोई व्यक्ति अपने विभाग के खिलाफ भी शिकायत दर्ज करवाता है तो उसको पूरा सहयोग मिलता है।
मेहरड़ा: पहले नंबर पर राजस्व विभाग है। इसमें पटवारी, गिरदावर, तहसीलदार शामिल हैं। दूसरा पुलिस, पंचायती राज और फिर बिजली कंपनियां (डिस्कॉस) आती हैं। इनकी सबसे ज्यादा शिकायत एसीबी तक पहुंचती हैं। वाट्सऐप नंबर 1064 पर सबसे ज्यादा फोन इन्हीं विभागों के खिलाफ आते हैं।