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बीकानेर,जोधपुर. सशस्त्र सेनाओं की तरह सरहद की चौकसी में भी देश की बेटियां अपना लोहा मनवाने लगी हैं। आज से करीब 14 साल पहले पहली बार सीमा सुरक्षा बल में भर्ती हुई बेटियां सिर्फ सीमा से सटे खेतों में •महिला किसानों की तलाशी आदि का काम करती थी, लेकिन आज इन्हें पाकिस्तान से सटी समूची सीमा पर हाथों में हथियार उठाए, सीमा की सुरक्षा करते हुए देखा जा सकता है। अब ये नारी शक्ति बॉर्डर पर नाइट

राजस्थान से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ऊंटों पर बैठकर गश्त करती बेटियां।

पेट्रोलिंग ही नहीं, हर तरह की कॉम्बेट ड्यूटी, सीमा पार से किसी अप्रिय परिस्थिति या आतंकी निरोधी ऑपरेशन में भी भूमिका निभाने में सक्षम हो चुकी हैं। हाल ही पंजाब से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ की महिला बटालियन में शामिल सीमा प्रहरियों ने एक पाकिस्तानी ड्रोन को फायरिंग कर मार भगाया।

लू हो माइनस से 4 डिग्री कम.. चाहे लू के थपेड़े हों या 50 डिग्री से ज्यादा तापमान, सर्दी में हाड़कम्पा देने वाली माइनस 2 से 4 डिग्री तापमान वाली ठंड और बारिश से पहले आने वाले रेतीले बवंडरों के बीच जैसलमेर, बाड़मेर व बीकानेर से सटी घने रेगिस्तान वाली सीमा पर पुरुषों की तरह महिला सिपाही भी गश्त करती हैं।

बीएसएफ में सिपाही ही नहीं, हर कैडर में महिलाओं की भर्ती हो रही है। बीकानेर की बेटी तनुश्री पारीक 2017 में बीएसएफ की पहली महिला अधिकारी बनी। महिलाएं आज इंस्पेक्टर से डिप्टी कमांडेंट की रैंक तक पहुंच चुकी हैं। केंद्र

हर काम में माहिर

बीएसएफ राजस्थान सीमांत

मुख्यालय के महानिरीक्षक पंकज गूमर कहते हैं कि इन बहादुर बेटियों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बेहतरीन कार्यकुशलता दिखाई है। ये जरूरत पड़ने पर हथियार चलाकर किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति का माकूल जवाब देने में भी सक्षम हैं। बीएसएफ

सरकार ने हर अर्द्धसैनिक बल में पांच प्रतिशत महिलाओं की भर्ती का फैसला किया था, इसके बाद महिलाओं की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अकेले बीएसएफ में अब तक 8 से 10 हजार महिलाओं को भर्ती किया गया है।

में पहली बार 2008 में महिला बटालियन बनी थी। राजस्थान सीमा पर तैनात महिला रिक्रूट्स को सबसे पहले श्रीगंगानगर से सटी सीमा पर स्थित खेतों में आने-जाने वाली महिलाओं की तलाशी में लगाया गया था। अब ये पुरुषों के बराबर हर ड्यूटी में लगाई जाने लगी हैं।

मेरी यूनिट ही मेरा परिवार

हम लोग परिवार से काफी दूर तैनात हैं, हमें इसकी कभी कमी महसूस नहीं होती। हमारी यूनिट ही मेरा परिवार है। ड्यूटी और ड्यूटी के बाद भी हम लोग बेहतर तालमेल के साथ रहते हैं। हमारा परिवार भी इस बात पर गर्व करता है कि बॉर्डर की सुरक्षा हमारे हाथों में हैं। हम छुट्टी लेकर परिवार से मिलने जा सकते हैं। -सविता, पश्चिम सीमा पर तैनात सब-इंस्पेक्टर

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