जयपुर,राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। एक तरफ जहां कांग्रेस ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को लेकर पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को साधने की कोशिश में लगी है, तो दूसरी बीजेपी ने आगामी विधानसभा 2023 में जीत हासिल करने के लिए नई रणनीति बनाई है।राजस्थान में झुंझुनूं जिले के किठाना गांव से आने वाले जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 346 मतों के अंतर से हरा कर बीजेपी को बड़ी जीत दिलाई है। वहीं धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाकर बीजेपी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 और देश में हरियाणा, उत्तर प्रदेश में जाट राजनीति को एक बड़ा संदेश दिया है। बीजेपी ने राष्ट्रपति चुनाव में आदिवासियों के बाद उपराष्ट्रपति चुनावों में किसानों को साधा है। बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव 2023 में इसी रणनीति को अपनाने वाली है।माना जा रहा है कि बीजेपी ने धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाकर देश में जाटलैंड को संदेश देने के अलावा राजनीति में अगले 25-30 साल की रणनीति साफ की है। राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में करीब 30-40 सीटों पर जाट हार-जीत में निर्णायक भूमिका रखते हैं। मालूम हो कि राजस्थान में दोनों राजनीतिक दलों के मुखिया जाट समुदाय से आते हैं। बता दें कि बीजेपी के धनखड़ पर दाव के बाद राजस्था में सांसद हनुमान बेनीवाल और कांग्रेस के वोट बैंक को नुकसान हो सकता है। पिछले एक साल से कृषि कानून और किसान आंदोलन से जाट समुदाय बीजेपी से नाराज चल रहा था वहीं किसानों का साथ देते हुए सांसद हनुमान बेनीवाल ने एनडीए से नाता तोड़ लिया था ऐसे में अब धनखड़ के उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद बीजेपी जाट समुदाय को फिर से अपने पाले में शामिल कर सकती है।राजस्थान की बात करें तो विधानसभा-लोकभसभा चुनाव में नागौर, सीकर, चूरू, झुंझुनूं, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, भरतपुर और धौलपुर में जाट वोटबैंक में बीजेपी सेंध लगा सकती है। राजस्थान में कुल जाट आबादी का करीब 10 फीसदी है जहां बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर, गंगानगर, चूरू, सीकर, नागौर, हनुमानगढ़, जयपुर सहित कई जिलों में जाट समुदाय बहुतायत में है। राजस्थान विधानसभा में २० प्रतिशत विधायक जाट समुदाय से आते हैं और 30 से 40 विधानसभा सीटों पर सालों से जाट समुदाय से आने वाले कैंडिडेट चुनाव जीतते आए हैं। राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत बीजेपी के सामने अन्य राज्यों की अपेक्षा लगातार केंद्र को घेरकर एक बड़ी चुनौती पेश करते हैं ऐसे में धनखड़ को जाटों का नेता प्रचारित कर बीजेपी चुनावों में इसका फायदा उठाएगी। इसके अलावा बीजेपी आलाकमान भविष्य में वसुंधरा राजे के वर्चस्व से मुक्त नेतृत्व तैयार करने की दिशा में भी रणनीति बना रहा है।
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