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बीकानेर,राजस्थान सरकार के आदेश क्रमांक पं 12(2) वन / 2004 दिनांक 20 अप्रैल 2011 एवं संशोधन दिनांक 13 सितंबर 2012* के द्वारा वन विभाग के अधिकारियों के लिए *स्थानांतरण / पदस्थापन नीति निर्धारित की गई है।

राजस्थान सरकार द्वारा वन विभाग के अधिकारियों के लिए निर्धारित *स्थानांतरण / पदस्थापन नीति के बिन्दु संख्या 1.3 के अनुसार रेन्जर ग्रेड – II एवं रेन्जर ग्रेड – I को गृह जिले में पदस्थापित नहीं किया जा सकता है ।*

वन विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा बहुत बड़ा भ्रष्टाचार कर के* राजस्थान सरकार की उक्त स्थानांतरण / पदस्थापना नीति की पूर्णतया अवहेलना कर गृह जिले में रेंजर ग्रेड – II एवं रेंजर ग्रेड – I को *दो तरीके से पदस्थापित* किया जाता है –

1. गृह जिले में रेंजर का *रेंज में पदस्थापन*

2 .गृह जिले में रेंजर का *वनमंडल में पदस्थापन कर , बाद में रेंज का चार्ज देना* अर्थात *बैक डोर एन्ट्री ( Back Door Entry )*

*बैक डोर एन्ट्री ( Back Door Entry ) के जरिए गृह जिले में रेंजर के पदस्थापन / स्थानांतरण में मिलने वाली मोटी रकम के कारण वन विभाग के भ्रष्ट उच्चाधिकारियों की बैक डोर एन्ट्री (Back Door Entry ) में विशेष रुचि रहती है ।

राजस्थान सरकार द्वारा वन विभाग हेतु जारी उक्त स्थानांतरण / पदस्थापन नीति के बिन्दु संख्या 1.3( ii ) के अनुसार *बिन्दु संख्या 1.3 ( ii ) (क) , (ख) एवं (ग) में निर्धारित शर्तों की पालना कर* वन विभाग में *सिर्फ निम्नलिखित पांच प्रकार के कार्यालयों में* गृह जिले में रेंजर के *पदस्थापन में छूट दी गई है :-*

*1. राज्य स्तरीय प्रधान मुख्य वन संरक्षक का कार्यालय*
*2. संभागीय मुख्य वन संरक्षक का कार्यालय*
*3. मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव) का कार्यालय*
*4. वानिकी प्रशिक्षण कार्यालय*
*5. अनुसंधान कार्यालय*

*उक्त पांच प्रकार के कार्यालयों के अतिरिक्त गृह जिले में वन विभाग के किसी भी वनमंडल / कार्यालय में रेंजर का पदस्थापन / स्थानांतरण राजस्थान सरकार द्वारा निर्धारित पदस्थापन / स्थानांतरण नीति का सरासर उल्लंघन है ।*

अतः विभिन्न वनमंडलों में रेंजर वन सुरक्षा एवं रेंजर वन विकास के सृजित पदों पर* गृह जिले में रेंजर का पदस्थापन राजस्थान सरकार द्वारा जारी *स्थानांतरण / पदस्थापन नीति का पूर्णतया उल्लंघन है ,* जो कि *भ्रष्ट वन उच्चाधिकारियों* द्वारा खुलेआम किया जाता रहा है ।

स्थानांतरण / पदस्थापन नीति के बिंदु संख्या 1.3(ii) (ग) में स्पष्ट रूप से वर्णित है कि *”गृह जिले में पदस्थापन का अधिकार प्रशासनिक विभाग को रहेगा* कि *प्रकरण दर प्रकरण ( Case by Case ) आधार पर आवेदनों में से निर्धारित किया जावेगा ।

परन्तु *भ्रष्टाचार में डूबे हुए वन विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा* स्वयं के *क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर* विगत वर्षों में रेंजर ग्रेड – II एवं रेंजर ग्रेड – I का पदस्थापन / स्थानांतरण गृह जिले में धड़ल्ले से किये गये हैं ।

हाल ही में वन विभाग द्वारा 255 वनपाल को रेन्जर ग्रेड – II के पद पर पदोन्नत किया गया है एवं नव पदौन्नति पर रेन्जर ग्रेड -II के पद पर पदस्थापन के आदेश वन विभाग द्वारा शीघ्र ही जारी किये जाने वाले हैं ।* इसके साथ ही 19 रेन्जर ग्रेड – II को रेन्जर ग्रेड – I के पद पर नव पदोन्नति पर पदस्थापित किया जायेगा ।

सूत्रों ने बताया है कि नव पदोन्नत रेन्जर ग्रेड – II एवं रेन्जर ग्रेड – I को वन विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार कर गृह जिले में पदस्थापित किया जायेगा । इस प्रक्रिया में राज्य सरकार द्वारा वन विभाग हेतु जारी स्थानांतरण / पदस्थापन नीति की भ्रष्टाचार के कारण पूर्णतया अवहेलना की जायेगी ।इस प्रकार नियम विरुद्ध गृह जिले में पदस्थापन करने में भारी भ्रष्टाचार होगा ।*

विगत वर्ष में भी भ्रष्टाचार के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा जारी स्थानांतरण / पदस्थापन नीति की अवहेलना कर लगभग पच्चीस रेन्जर ग्रेड – II एवं रेन्जर ग्रेड – I को गृह जिले में नियम विरुद्ध पदस्थापित किया गया एवं इस नियम विरुद्ध पदस्थापन की प्रक्रिया में शामिल वन विभाग के उच्चाधिकारियों के खिलाफ कोई भी कार्यवाही नहीं होने से उनके हौंसले बुलंद हैं ।

अतः इस बार भी नव पदोन्नत रेन्जर ग्रेड – II एवं रेन्जर ग्रेड – I के पदस्थापन की प्रक्रिया में वन विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार का यह क्रम अनवरत जारी रखने की पूर्ण संभावना है ।

राज्य सरकार को तुरंत संज्ञान लेकर वन विभाग के भ्रष्ट उच्चाधिकारियों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार के इस खेल पर अविलंब विराम लगाना चाहिए ।*

ताज मोहम्मद पठान,संरक्षक राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ( एकीकृत )बीकानेर

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