बीकानेर,आज महारानी सुदर्शन कन्या महाविद्यालय में जिला स्तरीय संस्कृत स्तोत्र एकल गायन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन शिवबाड़ी मठ के महंत स्वामी श्री विमर्शानंद जी महाराज के द्वारा मां सरस्वती के आगे दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षा महाविद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर इंदिरा गोस्वामी ने अपने उद्बोधन में विद्यार्थियों को महाविद्यालय में प्रदत्त मंचों का अधिक से अधिक उपयोग करने हेतु कार्यक्रमों में निरंतर सहभागिता करने पर बल दिया। जीवन में निरंतर प्रतिभागी के रूप में सहभागिता करने से व्यक्तित्व का विकास होता है, साथ ही आत्मविश्वास भी प्रबल होता है, जिससे व्यक्ति चुनौतियों से मुकाबला करने में समर्थ होता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिवबाड़ी मठ के महंत स्वामी श्री विमर्श आनंद जी ने विद्यार्थियों से जीवन दर्शन सीखने का आह्वान करते हुए कहा कि हर छोटी से छोटी विषय-वस्तु को देखकर जीवन में निरंतर बदलाव लाया जा सकता है। आगे आप ने कहा कि राष्ट्र से बढ़ कर कुछ भी नहीं होता, इसके लिए प्रत्येक नागरिक को सर्वस्व बलिदान करने हेतु भी तैयार रहना चाहिए।
उद्घाटन सत्र के अवसर पर विशिष्ट अतिथि राजकीय महाविद्यालय, छतरगढ़ की प्राचार्य डॉक्टर विजय श्री गुप्ता ने विद्यार्थियों को संस्कृत की वैज्ञानिकता की जानकारी देते हुए कहा कि छठे एवं सातवें जनरेशन के कंप्यूटरों हेतु नासा के वैज्ञानिकों ने संस्कृत को ही सर्वाधिक उपयुक्त कंप्यूटर भाषा माना है। आपने संस्कृत में गीत भी सुना कर विद्यार्थियों को आह्लादित किया।
उद्घाटन सत्र के बाद द्वितीय सत्र में स्तोत्र गायन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें बीकानेर जिले की कुल 7 महाविद्यालयों ने सहभागिता की इस प्रतियोगिता में विद्यार्थियों की प्रस्तुतियां मनमोहक रही। 7 महाविद्यालयों की कुल 56 विद्यार्थियों ने विभिन्न संस्कृत स्तोत्रों का तालसंगत युक्त गायन करते हुए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रतियोगिता के समन्वयक डॉ उज्ज्वल गोस्वामी ने बताया कि डूंगर महाविद्यालय के बीकॉम द्वितीय वर्ष के छात्र योगेश पुरोहित ने प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया। वही महारानी कॉलेज की बी.ए. तृतीय वर्ष की छात्रा प्रियंका कंडारा ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया तथा राजकीय विधि स्नातकोत्तर महाविद्यालय की एलएलबी तृतीय वर्ष की छात्रा ज्योति रंगा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। 20 विद्यार्थियों को सान्त्वना पुरस्कार प्रदान किया गया तथा शेष विद्यार्थियों को विशेष पुरस्कार से पुरस्कृत कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि, राजकीय महाविद्यालय, कोलायत, की प्राचार्य डॉ शालिनी मूलचंदानी ने संस्कृत भाषा के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संस्कृत दुनिया की उन चन्द मूल भाषाओं में से एक है, जिसका समृद्ध ज्ञान आज भी प्रासंगिक है।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ रजनीरमण झा ने सभी आगंतुकों को स्मृतिचिह्न भेंटकर सम्मानित किया। अपने उद्बोधन में डा. झा ने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताओं से विद्यार्थियों में आत्मविश्वास का विकास होता है।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी संकायों की सहभागिता रहा। महाविद्यालय के संकाय सदस्यों ने भी पूर्ण सहयोग प्रदान करते कार्यक्रम का आनन्द लिया।