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बीकानेर,कोरोना काल मैं हाथ पर हाथ धरे बैठे शिल्पकारो की छेनी हथौड़ी की आवाज अब फिर से गूंजने लगी है। काम में आई तेजी के चलते इन शिल्प कारों के चेहरे पर मानो रोनक सी नजर आने लगी है। गत डेढ़ वर्ष से कोरोना संक्रमण के चलते ना तो मकानों के निर्माण हो रहे थे और ना ही कोई उद्घाटन जिसकी वजह से इन शिल्पकारों का धंधा मंदा हो चला था।

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अब सरकारी विकास कार्यों के शिलान्यास और लोकार्पण के कार्य जोर पकड़ने के साथ ही शिल्पकारो को काम भी मिलने लगा है बीकानेर के रानी बाजार और ब्रिज के पास ऐसे शिल्प कारों की करीब 10 दुकानें हैं पिछले डेढ़ साल से इनके पास कोई काम नहीं था वही अब सुबह से शाम तक गर्दन झुकाए छेनी हथौड़ी से पत्थर पर नाम लिख रहे हैं। शिल्पकार श्यामसुंदर नायक ने बताया कि कोरोना के चलते पिछले कई महीनों से परिवार की रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया था पिछले डेढ़ साल से हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं लेकिन अब कारीगरों के पास प्रतिदिन 35 से 40 आर्डर आने शुरू हो गए हैं इनमें मटका शिलान्यास तथा उद्घाटन समारोह के शिलापट्ट शामिल हैं।
कोरोना संक्रमण के चलते कामकाज पूरी तरह ठप हो गया था अब धीरे-धीरे काम रफ्तार पकड़ रहा है। उद्घाटनो तथा शिलान्यासो की संख्या भी बढ़ने लगी है शिल्पकार सलाउद्दीन ने बताया कि इस समय मंत्री डॉक्टर बी डी कल्ला तथा उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी के नाम से सिला पत्र अधिक बन रहे हैं। इन शिल्पकारों ने सरकार से गुहार लगाई है कि सरकार इनके लिए कोई राहत पैकेज की घोषणा करे। कोरोना काल के चलते हुए नुकसान और परिवार पर रोजी रोटी के संकट के बादल काम मिलने से छंटने लगे हैं। यह शिल्पकार काम में तेजी आने के साथ ही इन कलाकारों के चेहरों पर रोनक साफ देखी जा सकती है ।

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