बीकानेर।,संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल में जहां हाथ रखो वहां दर्द वाली बात है। एक व्यवस्था को सुधारो तो दूसरी बिगड़ जाती है। अफसोस कि आपातकालीन वार्ड में भी मरीजों को वह सुविधाएं व उपचार नहीं मिल पाता जिसकी वह अपेक्षा करके पहुंचता है। पीबीएम अस्पताल के मेडिसिन वार्ड में यही हालात देखने को मिले। आपातकालीन वार्ड में स्ट्रेचर टूटे व क्षतिग्रस्त पड़े हैं। व्हीलचेयर है नहीं। यहां बने शौचालय पर ताला लगा है। मरीजों व परिजनों को शौचालय के लिए बाहर या वार्डों की गैलरियों में बने शौचालयों में जाना पड़ रहा है।
एक मशीन, दस मरीज
मेडिसिन आपातकालीन में भी चिकित्सा व्यवस्था डांवाडोल हैं। यहां पर ईसीजी की एक ही मशीन रखी हुई है। एक ही कर्मचारी है। आपातकालीन में एक साथ-चार-पांच मरीज पहुंचते हैं। ऐसे में एक मशीन से सभी मरीजों को उपचार मिलने में देरी होती है। इससे भी बड़ी समस्या यह है कि दाे बजे के बाद आने वाले मरीजों को ईसीजी कराने पर उन्हें साढ़े तीन बजे के बाद का समय दे रहे हैं जबकि इमरजेंसी में कोई मरीज आ रहा है तो उसको सभी सुविधाएं प्राथमिकता से मिलनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। मरीजों को दवा लाने के लिए इधर से उधर भटकना पड़ रहा है। हाल ही में आदेश जारी किए गए थे कि मरीजों के परिजनों को दवा नहीं लानी होगी। दवा वार्ड में स्टाफ ही उपलब्ध कराएगा। यह आदेश केवल कागजों में ही चल रहे हैं। मरीजों से ग्लूकोज एनएस, टिटनेस का इंजेक्शन, कैथेटर सहित अन्य सामान बाजार से मंगवाया जा रहा है।
लाखों का सामान बना कबाड़
पीबीएम में भामाशाह व समाजसेवियों की ओर से आए दिन कुछ न कुछ सामान मरीजों की सुविधार्थ भेंट किया जाता है लेकिन अस्पताल प्रशासन उनकी सार-संभाल तक नहीं कर पाता। पीबीएम अस्पताल के कई वार्डों के पीछे खाली पड़ी जगहों में स्ट्रेचर व व्हीलचेर कबाड़ बन रही है। इन स्ट्रेचर व व्हीचेयर में मामूली-सी खराबी है। किसी का पहिया काम नहीं कर रहा तो किसी की बेल्डिंग टूटी हुई है। इनकी मरम्मत करवा करवा दी जाए तो मरीजों के काम आ सकती है लेकिन प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
सीन एक :- पीबीएम अस्पताल की मेडिसिन आपातकालीन। समय दो बजकर 18 मिनट। यहां एक व्यक्ति अपनी पत्नी को लेकर पहुंचा। चिकित्सक ने जांच करने के बाद उसकी ईसीजी कराई को कहा। वहां ईसीजी करने वाला कर्मचारी नहीं था। काफी देर तक इंतजार करने के बाद उच्चाधिकारियों को फोन करने पर ईसीजी करने वाला पहुंचा। इस बात को लेकर मरीज के परिजन और स्टाफ में बहस भी हुई।
सीन दो :- पीबीएम अस्पताल की मेडिसिन आपातकालीन। समय दो बजकर 33 मिनट पर दो-तीन व्यक्ति एक वद्ध को लेकर पहुंचे। वृद्ध को बैचेनी होने के साथ-साथ तेज पेट दर्द कर रहा था। चिकित्सकों ने पर्ची पर कुछ दवाइयां लिखकर साथ वाले का रुका थमा दिया। इस मरीज की भी ईसीजी करने के लिए कोई नहीं था। ईसीजी के बारे में पूछने पर बताया कि कर्मचारी को आने में दस मिनट लगेंगे।