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बीकानेर,राष्ट्रीय कवि चौपाल की 504वीं कड़ी का आयोजन राजीव गांधी मार्ग स्थित भ्रमण पथ के चौपाल प्रांगण में हुआ। यह कड़ी राजस्थानी भाषा की मान्यता को समर्पित रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि साहित्यकार डॉ गौरीशंकर प्रजापत ने की। कवियित्री सुधा आचार्य मुख्य अतिथि थीं, वहीं कवि विप्लव व्यास, कवि रोशन बाफना व सुनीता गुर्जर बतौर विशिष्ट अतिथि मंच पर आसीन हुए। कार्यक्रम की शुरुआत कवियित्री सरोज भाटी ने सरस्वती वंदना से की।

इस दौरान गौरीशंकर प्रजापत ने म्हारी जुबान रौ खुलो ताळो पण चाबी सरकार रै हाथ में, जी भर सार संघर्ष तो सरकार होगी साथ में रचनाएं प्रस्तुत की। सुधा आचार्य ने मातृ भाषा बिन हिंवड़े री पीड़ कियां दूर होवे, ए आठ करोड़ राजस्थानी पूछे म्हारी मानतां बिन भाषा बिन्या म्हारो मोल कियां होवे व विप्लव व्यास ने राजस्थानी भासा री मानता सारू आखै राजस्थानियां ने इण भासा नै परोटण री मेहताऊ आवसयकता है रचना प्रस्तुत की। रोशन बाफना ने संघर्षों की वेला आई लाई है इक शुभ संकेत, व्यर्थ होगा नहीं मेरा आना यहां व हम नहीं मुहब्बत में इतवार रखने वाले आदि रचनाएं प्रस्तुत की। सुनीता गुर्जर ने नारी हूं मैं न्यारी हूं रचना प्रस्तुत की।
इसके अतिरिक्त जुगल किशोर पुरोहित ने मायड़ म्हारी मात है कविता सुनाई। रामेश्वर साधक ने काम धाम चाहे कीं नीं हुवे पण कैवे म्हाने मरण रो टैम कोनी, प्रमोद शर्मा ने अठै अंधेर घुप्प है देखी मां अबके स्याणा चुप है,.सागर सिद्दिकी ने बात करने का सलीका हो तो पत्थर बोलते हैं,..शिव दाधीच ने वाणी के जादूगरों मात शारदे के बेटों… डॉ कृष्ण लाल विश्नोई ने आग भणावे रोटियां, सेके, महबूब अली ने जिंदगी री धना धन गाड़ी चलावे पेड़, सरोज भाटी ने तन तो माटी रौ पुतलो सुनाई।
लीलाधर सोनी ने माण दे दो रै मायड़ भाषा ने, कैलाश टाक ने हरी भरी बेल बल रही, शिव शंकर शर्मा ने मायड़ भाषा री मान्यता सारू, शकूर बीकाणवी ने पागल हुआ हूं इतना गुंजे तराना, राजकुमार ग्रोवर ने हंसने वालों के साथ लोग सदा ही हंसते हैं, सुभाष विश्नोई ने जाते बसंत ने गिरते पतों से कहा, महेश बड़गुर्जर ने जादू करग्यो कानुडो़ खेले, कैलाश दान चारण ने जग में जो आकर माया को समझ कर रचना प्रस्तुत की। इसके अतिरिक्त राजू लखोटिया ने बांसुरी वादन किया। वहीं पवनपुत्र चढ्ढा ने मेरा दिल ये पुकारे आ जा गीत गाया। कार्यक्रम का संचालन राजस्थानी कवि जुगल किशोर पुरोहित किया। रामेश्वर साधक ने आभार व्यक्त किया। चौपाल की इस कड़ी का समापन राष्ट्रगान से हुआ।

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